1 00:00:02,000 --> 00:00:07,000 Downloaded from YTS.MX 2 00:00:08,000 --> 00:00:13,000 Official YIFY movies site: YTS.MX 3 00:00:12,963 --> 00:00:19,886 ‎NETFLIX ओरिजिनल डॉक्यूमेंट्री 4 00:01:18,904 --> 00:01:24,743 ‎यूक्रेन के इस शहर में एक ऐसा समय था ‎जब करीब 50,000 लोग रहते थे। 5 00:01:25,327 --> 00:01:29,456 ‎यहाँ हर वह सुविधा थी जो एक समुदाय को ‎आराम से जीने के लिए चाहिए होती है। 6 00:01:33,126 --> 00:01:38,798 ‎पर 26 अप्रैल, 1986 को, ‎यह अचानक रहने लायक नहीं रह गया। 7 00:01:40,800 --> 00:01:45,096 ‎पास में मौजूद चेर्नोबिल के ‎परमाणु संयंत्र में धमाका हुआ। 8 00:01:49,059 --> 00:01:53,688 ‎और 48 घंटे के अंदर-अंदर, ‎पूरा शहर खाली करा लिया गया। 9 00:01:57,192 --> 00:01:59,402 ‎तब से यहाँ पर कोई नहीं रहता। 10 00:02:10,247 --> 00:02:16,628 ‎वह धमाका बुरी योजना ‎और मानव गलती का नतीजा था। ग़लतियाँ। 11 00:02:17,796 --> 00:02:23,468 ‎इससे ऐसी पर्यावरणीय आपदा पैदा हुई ‎जिसका असर पूरे यूरोप पर पड़ा। 12 00:02:24,386 --> 00:02:29,891 ‎कई लोग इसे मानव जाति के ‎इतिहास की सबसे महँगी आपदा मानते हैं। 13 00:02:32,018 --> 00:02:35,355 ‎पर चेर्नोबिल केवल एक घटना थी। 14 00:02:36,147 --> 00:02:40,527 ‎हमारे वक्त की सबसे बड़ी त्रासदी ‎अभी भी पूरी दुनिया में घटित हो रही है, 15 00:02:40,610 --> 00:02:42,904 ‎जो रोज़मर्रा की ज़िंदगी में ‎नज़र भी नहीं आती। 16 00:02:43,738 --> 00:02:47,576 ‎मैं हमारी पृथ्वी के जंगली ज़िंदगी ‎और उसकी जैव-विविधता के 17 00:02:47,659 --> 00:02:49,578 ‎नुकसान के बारे में बात कर रहा हूँ। 18 00:02:56,835 --> 00:03:00,755 ‎जीव जगत एक बेहद अनोखा ‎और शानदार करिश्मा है। 19 00:03:02,299 --> 00:03:06,928 ‎अरबों जीव, लाखों किस्म के पौधे और जानवर, 20 00:03:07,804 --> 00:03:10,890 ‎अपनी विविधता और अधिकता से चौंकाते हैं। 21 00:03:13,018 --> 00:03:16,938 ‎साथ मिलकर काम करते हैं ‎ताकि सूरज की ऊर्जा और धरती के 22 00:03:17,439 --> 00:03:19,566 ‎खनिज पदार्थों का फ़ायदा उठा सकें। 23 00:03:21,693 --> 00:03:27,115 ‎उनकी ज़िंदगियाँ इस तरह से जुड़ी हुई हैं ‎कि वे एक-दूसरे को ज़िंदा रखती हैं। 24 00:03:29,200 --> 00:03:34,581 ‎हम पूरी तरह से इस सुनियोजित ‎जीवन अवलंब प्रणाली पर निर्भर हैं। 25 00:03:36,041 --> 00:03:40,879 ‎और यह सुचारू रूप से चलने के लिए ‎अपनी जैव-विविधता पर निर्भर करती है। 26 00:03:46,134 --> 00:03:52,807 ‎पर अभी हम जिस तरह धरती पर रह रहे हैं ‎उससे जैव-विविधता कम हो रही है। 27 00:03:58,355 --> 00:04:02,817 ‎यह भी बुरी योजना ‎और मानव गलती का ही नतीजा है। 28 00:04:03,693 --> 00:04:07,572 ‎और यह भी हमें उसी हालात में ले आएगा ‎जो हम यहाँ देख रहे हैं। 29 00:04:10,742 --> 00:04:14,204 ‎ऐसी जगह जो रहने लायक नहीं होगी। 30 00:04:19,084 --> 00:04:20,835 ‎प्राकृतिक जगत फीका पड़ रहा है। 31 00:04:20,919 --> 00:04:24,756 ‎इसका सबूत हमारे चारों ओर है। ‎यह मेरे जीवनकाल में हुआ है। 32 00:04:24,839 --> 00:04:27,050 ‎मैंने इसे अपनी आँखों से होते देखा है। 33 00:04:27,717 --> 00:04:32,389 ‎यह फ़िल्म मेरी गवाही ‎और भविष्य के लिए मेरी झलक भी है। 34 00:04:33,056 --> 00:04:36,768 ‎यह कहानी है कि किस तरह से ‎हमने इसे अपनी सबसे बड़ी भूल बनाया। 35 00:04:36,851 --> 00:04:41,272 ‎और किस तरह, अगर हम अभी सही कदम उठाएँ, ‎तो इस भूल को सुधार सकते हैं। 36 00:04:58,915 --> 00:05:03,545 ‎मैं हूँ डेविड एटनबरो और मैं 93 साल का हूँ। 37 00:05:04,379 --> 00:05:06,965 ‎मैंने एक बेहद लाजवाब ज़िंदगी जी है। 38 00:05:07,757 --> 00:05:11,511 ‎मुझे अब यह एहसास हुआ है ‎कि मेरा ज़िंदगी कितनी लाजवाब बीती। 39 00:05:17,559 --> 00:05:22,021 ‎मैं ख़ुशनसीब था कि अपनी ज़िंदगी ‎धरती के जंगलों के खोजबीन में बिताई। 40 00:05:25,150 --> 00:05:27,652 ‎मैं दुनिया के हर कोने में गया हूँ। 41 00:05:34,492 --> 00:05:40,331 ‎मैंने इस जीव जगत की विविधता ‎और चमत्कार को करीब से देखा है। 42 00:05:43,251 --> 00:05:47,547 ‎सच कहूँ, तो मैं किसी और तरीके से ‎ज़िंदगी जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता। 43 00:05:51,009 --> 00:05:56,055 ‎मुझे हमेशा नई जगहों पर जाने, साहसिक ‎कारनामे करने, निर्जन जगहों के बारे में 44 00:05:56,556 --> 00:05:59,184 ‎जानने का जुनून रहा है। 45 00:06:00,894 --> 00:06:02,145 ‎मैं अब भी सीख रहा हूँ। 46 00:06:04,189 --> 00:06:07,692 ‎आज भी उतना ही जितना जवानी में सीख रहा था। 47 00:06:14,741 --> 00:06:17,285 ‎सन् 1937 - दुनिया की आबादी : 2.3 बिलियन 48 00:06:17,368 --> 00:06:20,330 ‎वायुमंडल में कार्बन : 280 भाग प्रति दस लाख 49 00:06:20,413 --> 00:06:22,582 ‎बचा निर्जन इलाका : 66 प्रतिशत 50 00:06:25,293 --> 00:06:27,587 ‎तब की दुनिया बहुत अलग थी। 51 00:06:29,130 --> 00:06:33,760 ‎हमें इस बात की कम समझ थी ‎कि जीव जगत किस तरह चलता है। 52 00:06:36,554 --> 00:06:39,182 ‎उसे प्राकृतिक इतिहास कहते थे 53 00:06:39,265 --> 00:06:42,143 ‎क्योंकि वास्तव में वह... 54 00:06:43,603 --> 00:06:44,854 ‎इतिहास के बारे में था। 55 00:06:48,691 --> 00:06:50,777 ‎बचपन में यहाँ आना अच्छा लगता था, 56 00:06:50,860 --> 00:06:56,157 ‎क्योंकि यह लोहे की पत्थरों की खान है, ‎पर कोई इसका इस्तेमाल नहीं करता था। 57 00:06:56,241 --> 00:06:58,243 ‎यह पूरी जगह बिल्कुल साफ़ थी, यह... 58 00:06:58,326 --> 00:07:00,411 ‎हाल में ही बंद हुई पत्थर की खान थी। 59 00:07:14,175 --> 00:07:17,762 ‎जब मैं एक छोटा था, तो अपना सारा खाली वक्त 60 00:07:17,846 --> 00:07:20,598 ‎इस तरह की जगहों पर ‎पत्थर ढूँढते बिताता था... 61 00:07:21,975 --> 00:07:23,393 ‎छिपे हुए खज़ाने के लिए। 62 00:07:26,688 --> 00:07:27,522 ‎जीवाश्म। 63 00:07:29,274 --> 00:07:31,526 ‎इस जंतु को अमोनाइट कहते हैं। 64 00:07:31,609 --> 00:07:34,904 ‎और अपने जीवनकाल में, ‎यह जंतु इस खोल में रहता था 65 00:07:34,988 --> 00:07:38,074 ‎और शिकार को पकड़ने के लिए ‎अपने शिकंजे बाहर फैलाता था। 66 00:07:39,701 --> 00:07:42,996 ‎और यह करीब 18 करोड़ सालों पहले होता था। 67 00:07:44,289 --> 00:07:48,877 ‎इस वाली प्रजाति का ‎वैज्ञानिक नाम "टिल्टोनिसरस" है, 68 00:07:48,960 --> 00:07:52,547 ‎क्योंकि यह सबसे पहली बार ‎मध्य इंग्लैंड में स्थित 69 00:07:52,630 --> 00:07:55,425 ‎टिल्टन की पत्थर की खान में पाया गया था। 70 00:07:56,843 --> 00:08:02,307 ‎वक्त के साथ-साथ, मैंने पृथ्वी के ‎विकासीय इतिहास के बारे में जाना। 71 00:08:03,182 --> 00:08:07,312 ‎कुल मिलाकर, यह एक धीमे, ‎संतुलित बदलाव की कहानी है। 72 00:08:09,981 --> 00:08:15,194 ‎अरबों सालों के काल में, ‎प्रकृति ने करिश्माई रूपों की रचना की है, 73 00:08:15,278 --> 00:08:19,407 ‎हर एक अपने से पहले वाले से ‎ज़्यादा पेचीदा और कुशल बना। 74 00:08:21,659 --> 00:08:25,121 ‎यह बेहद कड़ी मेहनत वाली प्रक्रिया है। 75 00:08:29,250 --> 00:08:32,712 ‎और फिर, करीब दस करोड़ सालों में, 76 00:08:32,795 --> 00:08:36,090 ‎इतनी मेहनत भरी प्रक्रियाओं के बाद, 77 00:08:36,174 --> 00:08:41,262 ‎कुछ बेहद विनाशकारी हुआ, महाविलुप्ति। 78 00:08:42,347 --> 00:08:47,977 ‎अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो जाती हैं ‎और अचानक उनके बदले कुछ ही रह जाती हैं। 79 00:08:50,063 --> 00:08:52,357 ‎सारे क्रमिक विकास पर पानी फिर जाता है। 80 00:08:54,442 --> 00:08:57,987 ‎आप यह देख सकते हैं। ‎पत्थरों की परत में एक लकीर। 81 00:08:58,071 --> 00:09:02,825 ‎एक सीमा जो एक गहरे, तेज़, ‎भूमंडलीय बदलाव को दिखाती है। 82 00:09:03,576 --> 00:09:07,288 ‎उस लकीर के नीचे, ‎अनेकानेक जीव पाए जाते हैं। 83 00:09:08,831 --> 00:09:10,833 ‎उसके ऊपर, बेहद कम। 84 00:09:13,920 --> 00:09:19,634 ‎पृथ्वी पर ज़िंदगी के चार अरब सालों के ‎इतिहास में पाँच बार महाविलुप्ति हुई है। 85 00:09:22,220 --> 00:09:23,680 ‎पिछली बार जब ऐसा हुआ था 86 00:09:23,763 --> 00:09:28,142 ‎तो उस घटना ने डायनासोरों के ‎युग का अंत कर दिया था। 87 00:09:29,394 --> 00:09:33,022 ‎एक उल्कापिंड की टक्कर ‎पृथ्वी की परिस्थिति में 88 00:09:33,106 --> 00:09:35,233 ‎एक विनाशकारी बदलाव लेकर आया। 89 00:09:37,944 --> 00:09:42,323 ‎कुल प्रजातियों में से 75 प्रतिशत ‎हमेशा के लिए लुप्त हो गईं। 90 00:09:45,326 --> 00:09:49,247 ‎ज़िंदगी के पास नए रूप धरने के अलावा ‎और कोई चारा नहीं था। 91 00:09:51,040 --> 00:09:56,629 ‎करीब 6.5 करोड़ सालों से ‎जीव जगत के पुनर्निमाण का काम जारी है, 92 00:09:58,548 --> 00:10:03,970 ‎जब तक हम उस दुनिया में आए ‎जिसे हम हमारा युग के रूप में जानते हैं। 93 00:10:11,769 --> 00:10:15,148 ‎वैज्ञानिक इसे होलोसीन युग बुलाते हैं। 94 00:10:20,695 --> 00:10:24,032 ‎होलोसीन युग हमारे ग्रह के महान इतिहास का 95 00:10:24,115 --> 00:10:26,242 ‎सबसे स्थिर युग रहा है। 96 00:10:28,661 --> 00:10:34,042 ‎करीब 10,000 सालों से, औसत तापमान ‎एक डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा 97 00:10:34,125 --> 00:10:36,335 ‎ऊपर या नीचे नहीं हुआ है। 98 00:10:40,339 --> 00:10:43,801 ‎और हमारे आसपास का संपन्न ‎और फला-फूला जीव जगत 99 00:10:44,385 --> 00:10:46,929 ‎इस स्थिरता की कुंजी रहा है। 100 00:10:51,100 --> 00:10:57,523 ‎समुद्रों के ऊपरी तल के पादपप्लवकों ‎और उत्तर में फैले हुए घने जंगलों ने 101 00:10:57,607 --> 00:11:02,653 ‎कार्बन को ख़ुद में समाकर ‎वायुमंडल को संतुलित रखा है। 102 00:11:05,573 --> 00:11:07,408 ‎बड़े पशु समूहों ने मैदानों में 103 00:11:07,492 --> 00:11:12,663 ‎मिट्टी को उपजाऊ करके ‎घास के मैदानों को घना किया है। 104 00:11:18,586 --> 00:11:22,381 ‎समुद्र तटों पर हज़ारों किलोमीटर तक फैले ‎मैनग्रोव और मूँगे की चट्टानों ने 105 00:11:22,965 --> 00:11:25,468 ‎मछली की कई प्रजातियों को पनाह दी है 106 00:11:25,551 --> 00:11:30,181 ‎जो वयस्क होने पर, ‎विशाल सागर का हिस्सा बन जाती हैं। 107 00:11:36,813 --> 00:11:41,776 ‎भूमध्यरेखा में पाए जाने वाले घने जंगलों ने ‎बड़ी संख्या में पेड़ विकसित किए 108 00:11:41,859 --> 00:11:45,071 ‎ताकि जितना हो सके ‎सूरज की ऊर्जा को हासिल कर सकें, 109 00:11:45,655 --> 00:11:49,325 ‎जिससे दुनिया की हवा के ‎बहाव में नमी और ऑक्सीजन जोड़ी। 110 00:11:53,788 --> 00:11:56,958 ‎और ध्रुवीय बर्फ़ का विस्तार ‎बेहद अहम रहा है, 111 00:11:57,041 --> 00:12:00,211 ‎क्योंकि इसकी सफ़ेद सतह से ‎सूरज की किरणों को 112 00:12:00,837 --> 00:12:02,797 ‎परावर्तित करके पूरी पृथ्वी को ठंडा किया। 113 00:12:06,676 --> 00:12:11,430 ‎होलोसीन युग की जैव-विविधता ‎स्थिरता लाने में अहम रही है। 114 00:12:12,557 --> 00:12:19,021 ‎और पूरा जीव जगत एक धीमी, ‎भरोसेमंद लय में व्यवस्थित हो गया, 115 00:12:20,356 --> 00:12:21,858 ‎जिन्हें मौसम कहते हैं। 116 00:12:29,615 --> 00:12:31,075 ‎उष्णकटिबंधीय मैदानों में, 117 00:12:31,159 --> 00:12:36,372 ‎सूखे और बरसाती मौसम हर साल ‎सही समय पर एक-दूसरे की जगह लेते हैं। 118 00:12:40,126 --> 00:12:44,755 ‎एशिया में, हवा अपनी दिशा बदलती है, ‎जो वर्षा का संकेत साथ लाती है। 119 00:12:52,638 --> 00:12:58,019 ‎उत्तरी क्षेत्रों में, मार्च के महीने में ‎तापमान बढ़ता है और बसंत की शुरुआत होती है, 120 00:12:59,187 --> 00:13:04,400 ‎और अक्टूबर तक बढ़ा रहता है ‎और फिर कम होकर पतझड़ लाता है। 121 00:13:08,571 --> 00:13:12,283 ‎होलोसीन हमारा ईडन का बगीचा था। 122 00:13:12,366 --> 00:13:15,036 ‎इसके मौसमों की लय इतनी विश्वसनीय थी 123 00:13:15,119 --> 00:13:18,789 ‎कि इसने हमारी जाति को एक अनोखा मौका दिया। 124 00:13:21,500 --> 00:13:24,128 ‎हमने खेती का आविष्कार किया। 125 00:13:27,048 --> 00:13:31,969 ‎हमने मौसमों का इस्तेमाल करके ‎फ़सल उगाने का तरीका सीखा। 126 00:13:33,846 --> 00:13:37,892 ‎इसके बाद पूरा मानव इतिहास शुरू हुआ। 127 00:13:39,810 --> 00:13:43,522 ‎हर पीढ़ी केवल इसलिए ‎विकसित हुई और प्रगति कर पाई 128 00:13:43,606 --> 00:13:47,109 ‎क्योंकि हम जीव जगत पर ‎उन परिस्थितियाँ को दे पाने का 129 00:13:47,193 --> 00:13:49,654 ‎भरोसा कर सकते थे जिनकी हमें ज़रूरत थी। 130 00:13:52,990 --> 00:13:58,079 ‎हमारी प्रगति की रफ़्तार पाए गए जीवाश्मों ‎के रिकॉर्ड से कहीं ज़्यादा तेज़ थी। 131 00:14:01,332 --> 00:14:05,878 ‎हमारी बुद्धिमता ने हमारे ‎विकास के तरीके को ही बदल दिया। 132 00:14:06,671 --> 00:14:07,964 ‎पहले, 133 00:14:08,047 --> 00:14:14,136 ‎जानवरों को अपनी ज़िंदगियाँ बदलने के लिए ‎कुछ शारीरिक क्षमता विकसित करनी पड़ती थी। 134 00:14:14,929 --> 00:14:18,224 ‎पर हमारे मामले में, ‎एक विचार वह काम कर सकता था। 135 00:14:18,307 --> 00:14:22,353 ‎और वह विचार एक से ‎दूसरी पीढ़ी तक आगे बढ़ाया जा सकता था। 136 00:14:24,939 --> 00:14:28,484 ‎एक प्रजाति जो हासिल करती थी ‎हम उसे बदल रहे करते थे। 137 00:14:32,738 --> 00:14:38,995 ‎यह शुरू होने के कुछ हज़ार साल बाद, ‎मैं बिल्कुल सही वक्त पर बड़ा हुआ। 138 00:14:39,745 --> 00:14:41,664 ‎सितम्बर, 1954 139 00:14:41,747 --> 00:14:44,208 ‎मेरे 20 के दशक में मेरे कैरियर की शुरुआत 140 00:14:44,292 --> 00:14:48,379 ‎वैश्विक हवाई यात्रा की शुरुआत के साथ हुई। 141 00:14:49,922 --> 00:14:53,384 ‎मेरी ख़ुशनसीबी थी ‎कि मैं उन पहले लोगों में से था 142 00:14:53,467 --> 00:14:57,638 ‎जिन्होंने होलोसीन के ‎सौम्य मौसम के नतीजतन मिलने वाले 143 00:14:57,722 --> 00:15:00,308 ‎जीवन के संपूर्ण वरदान का अनुभव किया। 144 00:15:10,276 --> 00:15:12,445 ‎सन् 1954 - दुनिया की आबादी : 2.7 बिलियन 145 00:15:12,528 --> 00:15:15,031 ‎वायुमंडल में कार्बन : 310 भाग प्रति दस लाख 146 00:15:15,114 --> 00:15:16,782 ‎बचा निर्जन इलाका : 64 प्रतिशत 147 00:15:20,494 --> 00:15:23,956 ‎मैं जहाँ भी गया, वहाँ निर्जन इलाके थे। 148 00:15:24,874 --> 00:15:27,209 ‎दमकते हुए समंदर। 149 00:15:28,336 --> 00:15:29,962 ‎विशाल घने जंगल। 150 00:15:31,547 --> 00:15:33,549 ‎दूर-दूर तक फैले हुए चारागाह। 151 00:15:33,632 --> 00:15:37,595 ‎आप इन अनछुए निर्जन इलाकों के ‎ऊपर घंटों तक उड़ान भर सकते थे। 152 00:15:40,348 --> 00:15:44,810 ‎और लोगों के लिए मुझसे इन जगहों की खोज करने 153 00:15:44,894 --> 00:15:48,522 ‎और कुदरत के करिश्मों को ‎दर्ज करने के लिए कहा जा रहा था। 154 00:15:50,649 --> 00:15:52,151 ‎और यह काम काफ़ी आसान था। 155 00:15:52,234 --> 00:15:54,653 ‎लोगों ने पहले कभी टीवी पर ‎पैंगोलिन नहीं देखे थे। 156 00:15:54,737 --> 00:15:56,447 ‎उन्होंने स्लॉथ नहीं देखे थे। 157 00:15:56,530 --> 00:15:58,741 ‎न्यू गिनी का मध्य केंद्र नहीं देखा था। 158 00:16:04,538 --> 00:16:06,791 ‎वह मेरी ज़िंदगी का सबसे सुहाना समय था। 159 00:16:08,042 --> 00:16:10,920 ‎हमारी ज़िंदगियों का सबसे सुहाना समय था। 160 00:16:11,629 --> 00:16:15,841 ‎दूसरा दुनिया युद्ध ख़त्म हो चुका था, ‎तकनीक हमारी ज़िंदगी आसान बना रही थी। 161 00:16:18,386 --> 00:16:22,139 ‎बदलाव की रफ़्तार और तेज़ होती जा रही थी। 162 00:16:27,895 --> 00:16:31,065 ‎लग रहा था मानो कुछ भी ‎हमारी प्रगति को रोक नहीं पाएगा। 163 00:16:32,108 --> 00:16:35,194 ‎भविष्य बेहद रोमांचक होने वाला था। 164 00:16:35,277 --> 00:16:38,239 ‎वे सब चीज़ें लाने वाला था ‎जिनकी हमने कल्पना की थी। 165 00:16:41,325 --> 00:16:45,704 ‎यह समस्याओं का ‎एहसास होने से पहले की बात है। 166 00:16:50,251 --> 00:16:52,169 ‎सन् 1960 - दुनिया की आबादी : 3.0 बिलियन 167 00:16:52,253 --> 00:16:54,505 ‎वायुमंडल में कार्बन : 315 भाग प्रति दस लाख 168 00:16:54,588 --> 00:16:56,257 ‎बचा निर्जन इलाका : 62 प्रतिशत 169 00:16:57,550 --> 00:16:59,218 ‎सितम्बर, 1960 170 00:16:59,301 --> 00:17:03,806 ‎पहले सफ़र पर मैं सन् 1960 में ‎पूर्व अफ़्रीका गया था। 171 00:17:08,102 --> 00:17:13,315 ‎उस वक्त, यह सोचना भी मुश्किल था ‎कि ऐसा दिन आएगा, जब हम, एक अकेली प्रजाति, 172 00:17:13,399 --> 00:17:18,904 ‎पूरे निर्जन इलाके के अस्तित्व को ‎ख़तरे में डालने की ताकत रखेंगे। 173 00:17:22,491 --> 00:17:27,079 ‎मसाई शब्द "सेरेंगेटी" का ‎मतलब होता है "बेशुमार मैदान।" 174 00:17:27,705 --> 00:17:30,416 ‎जो यहाँ रहते हैं, ‎उनके लिए यह व्याख्या सटीक है। 175 00:17:30,499 --> 00:17:33,169 ‎आप सेरेंगेटी के किसी ‎एक स्थान पर हो सकते हैं, 176 00:17:33,252 --> 00:17:35,921 ‎और वहाँ एक भी जानवर नहीं होगा, 177 00:17:36,005 --> 00:17:37,465 ‎और फिर, अगली ही सुबह... 178 00:17:39,091 --> 00:17:41,135 ‎दस लाख अफ़्रीकी बारहसिंघा। 179 00:17:47,600 --> 00:17:49,852 ‎ढाई लाख ज़ेबरा। 180 00:17:54,565 --> 00:17:56,358 ‎पाँच लाख चिंकारा वहाँ दिखेंगे। 181 00:17:59,445 --> 00:18:01,071 ‎उसके कुछ दिन बाद, 182 00:18:02,406 --> 00:18:03,699 ‎वे ग़ायब हो जाते हैं। 183 00:18:03,782 --> 00:18:05,743 ‎क्षितिज के पार चले जाते हैं। 184 00:18:05,826 --> 00:18:09,914 ‎आपको यह सोचने के लिए ‎माफ़ किया जा सकता है कि ये मैदान असीम है 185 00:18:10,498 --> 00:18:12,708 ‎जब वे इतने बड़े झुंड को निगल सकते हैं। 186 00:18:13,792 --> 00:18:15,377 ‎एक दूरदर्शी वैज्ञानिक, 187 00:18:15,461 --> 00:18:19,131 ‎बर्नहार्ड जिमिक ने साबित करने का ‎बीड़ा उठाया कि यह सच नहीं है। 188 00:18:22,426 --> 00:18:27,848 ‎उन्होंने व उनके बेटे ने एक विमान में बैठकर ‎क्षितिज के पार तक उन झुंडों का पीछा किया। 189 00:18:38,025 --> 00:18:40,945 ‎उन्होंने उनके रास्ते का ‎नक्शा बनाया जब वे नदियों के पार, 190 00:18:41,028 --> 00:18:44,198 ‎जंगलों के बीच ‎और राष्ट्रीय सीमाओं को लाँघते हुए गए। 191 00:18:46,367 --> 00:18:48,786 ‎उन्हें पता चला कि सेरेंगेटी के जानवरों को 192 00:18:48,869 --> 00:18:53,791 ‎ज़िंदा रहने के लिए ‎बहुत विशाल चारागाह चाहिए। 193 00:18:55,042 --> 00:18:59,380 ‎इतनी बड़ी जगह के बिना, ‎उन पशुओं की संख्या कम हो जाएगी 194 00:18:59,463 --> 00:19:03,425 ‎और इसके साथ ही पूरा ‎परितंत्र खत्म हो जाएगा। 195 00:19:05,219 --> 00:19:09,431 ‎मेरे लिए इसका मतलब सरल था, ‎वन असीमित नहीं हैं। 196 00:19:09,515 --> 00:19:12,434 ‎वे सीमित हैं। ‎उन्हें सुरक्षित रखना ज़रूरी है। 197 00:19:12,935 --> 00:19:16,564 ‎और कुछ सालों बाद, ‎यह विचार सबको समझ में आ गया। 198 00:19:17,356 --> 00:19:22,903 ‎पाँच, चार, तीन, दो, एक, शून्य। 199 00:19:24,863 --> 00:19:29,577 ‎जब अपोलो मिशन लॉन्च हुआ, ‎तो मैं एक टेलीविज़न स्टूडियो में था। 200 00:19:29,660 --> 00:19:33,163 ‎दिसम्बर, 1968 201 00:19:33,664 --> 00:19:35,040 ‎यह पहली बार था 202 00:19:35,124 --> 00:19:38,836 ‎जब कोई मनुष्य पृथ्वी से इतना दूर गया था 203 00:19:38,919 --> 00:19:40,754 ‎कि पूरी पृथ्वी को देख सके। 204 00:19:41,297 --> 00:19:42,715 ‎अपोलो 8 - होम मूवीज़ 205 00:19:42,798 --> 00:19:44,258 ‎और उन्होंने यह देखा... 206 00:19:46,969 --> 00:19:48,929 ‎हम सबने यह देखा। 207 00:19:50,347 --> 00:19:55,269 ‎हमारा ग्रह। असुरक्षित और अलग-थलग है। 208 00:20:01,317 --> 00:20:05,904 ‎उसके बारे में एक कमाल की चीज़ ‎यह थी कि पूरी दुनिया 209 00:20:05,988 --> 00:20:08,741 ‎इसे होते हुए देख पा रही थी। 210 00:20:09,325 --> 00:20:15,456 ‎यह बेहद कमाल की बात थी कि आप ‎उसी समय वह देख सकते थे जो अंतरिक्ष में गया 211 00:20:15,539 --> 00:20:17,625 ‎वह आदमी उस समय देख रहा था। 212 00:20:19,043 --> 00:20:23,255 ‎और मुझे वह पहली तस्वीर ‎अच्छी तरह से याद है। 213 00:20:23,756 --> 00:20:26,508 ‎आपको एक नीला कंचा दिखा। 214 00:20:26,592 --> 00:20:33,057 ‎अंधेरे के बीच एक नीला गोला, ‎और आपको एहसास हुआ कि वह पृथ्वी है। 215 00:20:33,557 --> 00:20:37,519 ‎और उस एक तस्वीर में ‎पूरी मानव जाति समा गई थी, 216 00:20:37,603 --> 00:20:42,149 ‎केवल उस इंसान के सिवाय ‎जो अंतरिक्ष यान से वह तस्वीर ले रहा था। 217 00:20:43,150 --> 00:20:47,946 ‎और उस घटना ने लोगों के, ‎दुनिया में रहने वाले लोगों के 218 00:20:48,030 --> 00:20:49,657 ‎पूरे नज़रिए को बदल दिया, 219 00:20:53,285 --> 00:20:55,412 ‎हमारा घर असीमित नहीं था। 220 00:20:57,039 --> 00:20:59,667 ‎हमारे अस्तित्व की एक सीमा थी। 221 00:21:01,210 --> 00:21:05,464 ‎वह एक बुनियादी सच्चाई का फिर से बोध था। 222 00:21:06,674 --> 00:21:10,761 ‎आख़िरकार हम अपने आसपास की ‎सीमित प्राकृतिक दुनिया से 223 00:21:10,844 --> 00:21:14,056 ‎घिरे हुए और उस पर निर्भर हैं। 224 00:21:15,974 --> 00:21:19,853 ‎यह सच्चाई हमारी ‎प्रागैतिहासिक ज़िंदगी को परिभाषित करती है। 225 00:21:19,937 --> 00:21:23,482 ‎खेती-बाड़ी और सभ्यता से पहले का युग। 226 00:21:24,066 --> 00:21:27,277 ‎हालाँकि हममें से कुछ चाँद तक पहुँच गए थे, 227 00:21:27,361 --> 00:21:32,866 ‎कुछ दूसरे मनुष्य पृथ्वी के सबसे ‎दूरस्थ स्थानों में वही ज़िंदगी जी रहे थे। 228 00:21:34,952 --> 00:21:39,039 ‎मई, 1971 229 00:21:40,457 --> 00:21:46,505 ‎सन् 1971 में, मैं न्यू गिनी की ‎एक आदिवासी जनजाति से मिलने गया। 230 00:21:50,134 --> 00:21:56,724 ‎वे लोग शिकार करके भोजन इकट्ठा करते थे, ‎जैसा कि खेती से पहले सारे मनुष्य करते थे। 231 00:22:00,310 --> 00:22:04,106 ‎वे छोटे गुटों में रहते थे ‎और कम में गुज़र-बसर करते थे। 232 00:22:08,527 --> 00:22:10,863 ‎वे गोश्त बहुत कम ही खाते थे। 233 00:22:11,780 --> 00:22:16,368 ‎वे जिन संसाधनों का इस्तेमाल करते थे, उनसे ‎वे कुदरती रूप से पहले जैसे हो जाते थे। 234 00:22:17,286 --> 00:22:21,957 ‎अपनी पारंपरिक तकनीक की मदद से, ‎वे सतत ज़िंदगी जी रहे थे। 235 00:22:22,541 --> 00:22:26,420 ‎ऐसी जीवनशैली जो हमेशा के लिए ‎उसी तरह कायम रह सकती थी। 236 00:22:29,965 --> 00:22:32,718 ‎यह उस दुनिया से ‎बिल्कुल अलग था जिसे मैं जानता था। 237 00:22:33,886 --> 00:22:37,139 ‎ऐसी दुनिया जो हर दिन नई माँग कर रही थी। 238 00:22:38,640 --> 00:22:40,976 ‎सन् 1978 - दुनिया की आबादी : 4.3 अरब 239 00:22:41,059 --> 00:22:43,520 ‎वायुमंडल में कार्बन : 335 भाग प्रति दस लाख 240 00:22:43,604 --> 00:22:45,564 ‎बचा निर्जन इलाका : 55 प्रतिशत 241 00:22:47,149 --> 00:22:51,403 ‎मैंने 1970 के दशक के आख़िरी साल ‎दुनिया घूमते हुए, "लाइफ़ ऑन अर्थ" नाम की 242 00:22:51,487 --> 00:22:55,824 ‎सीरीज़ बनाते हुए बिताए ‎जिसका मैंने सालों से सपना देखा था। 243 00:22:56,992 --> 00:23:01,330 ‎जीवों के क्रमिक विकास ‎और उनकी विविधता की कहानी। 244 00:23:03,123 --> 00:23:05,417 ‎यह सीरीज़ 39 देशों में फ़िल्माई गई थी। 245 00:23:06,710 --> 00:23:10,088 ‎हमने 650 प्रजातियों को फ़िल्माया, 246 00:23:10,172 --> 00:23:13,592 ‎और लगभग 24 लाख किलोमीटर की दूरी तय की। 247 00:23:14,259 --> 00:23:16,720 ‎अगर आप जीव जगत को बयान करने की 248 00:23:16,804 --> 00:23:20,724 ‎कोशिश भी करना चाहते हैं तो ‎उसके लिए इसी तरह का समर्पण चाहिए। 249 00:23:22,518 --> 00:23:23,811 ‎पर यह काफ़ी ज़ाहिर था 250 00:23:23,894 --> 00:23:27,064 ‎कि कुछ जानवरों को ढूँढ पाना ‎और मुश्किल हो रहा था। 251 00:23:40,828 --> 00:23:43,080 ‎जनवरी, 1978 252 00:23:43,163 --> 00:23:45,833 ‎जब पर्वतीय गोरिल्ला को फ़िल्माया, 253 00:23:45,916 --> 00:23:50,921 ‎तो मध्य अफ़्रीका के दूरस्थ जंगलों में ‎उनकी तादाद केवल 300 रह गई थी। 254 00:23:52,422 --> 00:23:54,842 ‎नवजात गोरिल्ला की काफ़ी माँग थी, 255 00:23:54,925 --> 00:23:58,136 ‎और अवैध शिकारी एक बच्चे के लिए ‎दर्जन भर वयस्क मार देते थे। 256 00:23:59,888 --> 00:24:04,434 ‎मैं उनके इतना करीब इसलिए जा पाया ‎क्योंकि उन्हें मनुष्यों की आदत थी। 257 00:24:06,728 --> 00:24:11,525 ‎उन्हें ज़िंदा रखने का एकमात्र तरीका था ‎कि रेंजर रोज़ उनके साथ रहें। 258 00:24:17,781 --> 00:24:22,995 ‎जिस विलुप्ति की प्रक्रिया ‎मैंने बचपन में उन पत्थरों में देखी थी, 259 00:24:23,996 --> 00:24:28,250 ‎मुझे अब एहसास हुआ ‎कि वह प्रक्रिया मेरे आसपास हो रही थी। 260 00:24:29,042 --> 00:24:31,461 ‎उन जानवरों के साथ जिनसे मैं वाकिफ़ था। 261 00:24:33,255 --> 00:24:34,965 ‎हमारे सबसे करीबी संबंधी। 262 00:24:38,510 --> 00:24:40,512 ‎और हम उसके लिए ज़िम्मेदार थे। 263 00:24:43,348 --> 00:24:45,893 ‎इससे एक कठोर वास्तविकता का खुलासा हुआ। 264 00:24:47,352 --> 00:24:49,479 ‎अगर कोई प्रजाति हमारा निशाना बन गई, 265 00:24:49,980 --> 00:24:53,483 ‎उसके लिए पृथ्वी पर ‎कोई जगह नहीं बचती जहाँ वह छुप सके। 266 00:25:06,163 --> 00:25:12,711 ‎व्हेल मछलियाँ, 1970 के दशक में औद्योगिक ‎व्हेलिंग जहाज़ों द्वारा मारी जा रही थीं। 267 00:25:16,924 --> 00:25:20,093 ‎सबसे बड़ी, नीली व्हेल मछलियों की संख्या, 268 00:25:20,177 --> 00:25:22,804 ‎तब तक बस कुछ हज़ार ही बची थी। 269 00:25:27,517 --> 00:25:30,145 ‎और उनका मिलना नामुमकिन सा हो गया था। 270 00:25:33,273 --> 00:25:38,612 ‎हमें हवाई के पास हंपबैक व्हेल, ‎केवल उनकी पुकार सुनकर मिल पाईं। 271 00:25:38,695 --> 00:25:39,613 ‎फ़रवरी, 1978 272 00:25:39,696 --> 00:25:41,531 ‎थोड़े वक्त पहले, यहाँ हवाई के पास 273 00:25:41,615 --> 00:25:45,535 ‎प्रशांत महासागर में पानी के अंदर वाले ‎माइक्रोफ़ोन से हमने यह रिकॉर्डिंग की। 274 00:25:45,619 --> 00:25:46,787 ‎इसे सुनिए। 275 00:25:58,757 --> 00:26:02,719 ‎इस तरह की रिकॉर्डिंग ने उजागर किया ‎कि हंपबैक व्हेल के गाने 276 00:26:02,803 --> 00:26:04,930 ‎लंबे और पेचीदा होते हैं। 277 00:26:06,264 --> 00:26:10,143 ‎एक ही क्षेत्र में रहने वाली हंपबैक ‎एक-दूसरे से तराने सीखती हैं। 278 00:26:11,019 --> 00:26:16,692 ‎और इन तरानों के खास विषय और ‎रूपांतर होते हैं जो समय के साथ बदलते हैं। 279 00:26:25,742 --> 00:26:28,412 ‎उनके उदासी वाले गानों ने 280 00:26:28,495 --> 00:26:31,373 ‎उनके बारे में लोगों की राय बदल दी। 281 00:26:35,877 --> 00:26:38,630 ‎हैलो, बॉक्टॉक। हम कनाडा के रहने वाले हैं। 282 00:26:40,215 --> 00:26:42,009 ‎व्हेल मछलियों को मारना बंद करो। 283 00:26:44,553 --> 00:26:50,183 ‎वे जानवर जो तेल और गोश्त के ‎स्रोत से ज़्यादा कुछ नहीं माने जाते थे 284 00:26:50,267 --> 00:26:52,936 ‎एकदम से मशहूर शख्सियत बन गए। 285 00:26:55,439 --> 00:26:57,941 ‎हम आदमी और औरतें, ‎बच्चों की ओर से बोल रहे हैं, 286 00:26:58,692 --> 00:27:02,904 ‎हम सब मिलकर कह रहे हैं, ‎"व्हेल मछलियों को मारना बंद करें।" 287 00:27:04,948 --> 00:27:09,286 ‎अपने इतिहास में हम कई दफ़ा ‎जानवरों को उनके विलोपन तक ले गए हैं, 288 00:27:10,162 --> 00:27:14,624 ‎पर अब जब यह नज़र आ रहा था, ‎तो कतई स्वीकार्य नहीं था। 289 00:27:22,591 --> 00:27:27,095 ‎व्हेल मछलियों का शिकार ‎एक उपज से एक अपराध बन गया। 290 00:27:27,179 --> 00:27:28,930 ‎हमारी व्हेल मछलियों को मारना बंद करो 291 00:27:29,014 --> 00:27:32,559 ‎एकदम से एक दमदार साझी अंतरात्मा जाग उठी। 292 00:27:33,560 --> 00:27:37,105 ‎कोई नहीं चाहता था कि जानवर विलुप्त हों। 293 00:27:38,565 --> 00:27:41,443 ‎जैसे-जैसे लोग इसके बारे में ‎और जानने लगे थे 294 00:27:42,444 --> 00:27:46,073 ‎वे प्राकृतिक दुनिया की चिंता करने लगे थे। 295 00:27:49,117 --> 00:27:53,705 ‎और अब हमारे पास दुनिया भर के लोगों को ‎इसे बताने के साधन थे। 296 00:28:01,338 --> 00:28:07,135 ‎सन् 1979 में जब "लाइफ़ ऑन अर्थ" का ‎प्रसारण हुआ, मैं 50 से ऊपर का हो चुका था। 297 00:28:07,677 --> 00:28:10,138 ‎पृथ्वी पर उस वक्त से दोगुना लोग थे... 298 00:28:10,222 --> 00:28:11,223 ‎लाइफ़ ऑन अर्थ 299 00:28:11,306 --> 00:28:13,100 ‎...जितने मेरे जन्म के समय थे। 300 00:28:14,935 --> 00:28:21,108 ‎आप और मैं पृथ्वी पर जानवरों की ‎सबसे व्यापक और प्रबल जाति का हिस्सा हैं। 301 00:28:21,191 --> 00:28:24,277 ‎यकीनन हम सबसे ‎ज़्यादा तादाद वाले विशाल जानवर हैं। 302 00:28:24,361 --> 00:28:28,615 ‎आज हमारी जनसंख्या करीब चार अरब है, 303 00:28:28,698 --> 00:28:32,536 ‎और हम इस पड़ाव पर ‎बहुत तेज़ गति से पहुँचे हैं। 304 00:28:33,203 --> 00:28:36,957 ‎यह सब पिछले करीब 2,000 सालों में हुआ है। 305 00:28:37,040 --> 00:28:41,419 ‎हमने उन सारे बंधनों को तोड़ दिया है ‎जिन्होंने दूसरे जानवरों की 306 00:28:41,503 --> 00:28:45,423 ‎गतिविधियों और तादाद को तय किया है। 307 00:28:53,223 --> 00:28:54,975 ‎हमने बंधन तोड़ दिए थे। 308 00:28:55,934 --> 00:28:59,604 ‎हम पृथ्वी पर बाकी ज़िंदगी से अलग हो गए थे। 309 00:29:01,106 --> 00:29:03,608 ‎एक अलग तरह की ज़िंदगी जी रहे थे। 310 00:29:07,404 --> 00:29:10,198 ‎हमारा शिकार करने वाले ख़त्म कर दिए गए थे। 311 00:29:12,868 --> 00:29:15,704 ‎ज़्यादातर बीमारियों पर ‎हमने काबू पा लिया था। 312 00:29:17,622 --> 00:29:21,168 ‎हमने ज़रूरत के हिसाब से ‎अनाज पैदा करना सीख लिया था। 313 00:29:23,545 --> 00:29:26,798 ‎हमें सीमित करने के लिए कुछ नहीं बचा था। 314 00:29:27,591 --> 00:29:29,551 ‎हमें रोकने के लिए कुछ नहीं था। 315 00:29:30,802 --> 00:29:32,846 ‎जब तक कि हम ख़ुद को न रोकते... 316 00:29:33,972 --> 00:29:38,602 ‎हम पृथ्वी को तब तक इस्तेमाल करते रहेंगे ‎जब तक उसे पूरी तरह ख़त्म नहीं कर देते। 317 00:29:41,521 --> 00:29:45,108 ‎किसी एक प्रजाति ‎या कुछ प्रजातियों के समूह को बचाना 318 00:29:45,192 --> 00:29:46,943 ‎काफ़ी नहीं होगा। 319 00:29:47,027 --> 00:29:50,363 ‎जल्द ही पूरे के पूरे ‎प्राकृतिक वास ग़ायब होने लगेंगे। 320 00:30:18,475 --> 00:30:23,355 ‎मैंने पहले दक्षिणपूर्व एशिया के ‎एक पूरे प्राकृतिक वास को तबाह होते देखा। 321 00:30:23,438 --> 00:30:24,439 ‎जुलाई, 1956 322 00:30:25,440 --> 00:30:30,612 ‎सन् 1950 के दशक में, बोर्नियो का ‎तीन-चौथाई भाग वर्षावन से ढका था। 323 00:30:31,196 --> 00:30:33,323 ‎आगे डालियों से ‎कुछ गिरने की आवाज़ सुनाई दी। 324 00:30:34,658 --> 00:30:37,327 ‎और फिर, कुछ ही गज़ की दूरी पर, 325 00:30:37,410 --> 00:30:42,290 ‎हमें पेड़ों पर एक विशाल ‎झबरा लाल जानवर दिखाई दिया। 326 00:30:43,416 --> 00:30:44,834 ‎वह आरंगुटान था। 327 00:30:48,255 --> 00:30:49,756 ‎सदी के अंत तक, 328 00:30:49,839 --> 00:30:54,010 ‎बोर्नियो का वर्षावन घटकर आधा हो चुका था। 329 00:31:00,058 --> 00:31:03,728 ‎वर्षावन ख़ासतौर से ‎अनमोल प्राकृतिक वास होते हैं। 330 00:31:05,897 --> 00:31:09,484 ‎धरती की आधी से ज़्यादा ‎प्रजातियाँ इनमें रहती हैं। 331 00:31:14,239 --> 00:31:19,160 ‎ये ऐसी जगहें होती हैं जहाँ पर ‎क्रमिक विकास की कलात्मकता चरम पर होती है। 332 00:32:04,247 --> 00:32:09,794 ‎जंगल की कई लाख प्रजातियाँ ‎बहुत छोटी तादाद में पाई जाती हैं। 333 00:32:12,422 --> 00:32:15,759 ‎हर एक बेहद अहम किरदार निभाती है। 334 00:32:20,805 --> 00:32:24,851 ‎आरंगुटान माँओं को अपने ‎बच्चों को यह सिखाने में 335 00:32:24,934 --> 00:32:28,730 ‎दस साल लग जाते हैं, ‎कि कौन से फल खाए जा सकते हैं। 336 00:32:32,067 --> 00:32:33,485 ‎इस प्रशिक्षण के बगैर, 337 00:32:33,568 --> 00:32:37,322 ‎वे बीजों को बिखेरने में ‎अपनी भूमिका नहीं निभा पाएँगे। 338 00:32:38,782 --> 00:32:43,244 ‎कई पेड़ों की आगे की पीढ़ियाँ ‎ख़तरे में पड़ जाएँगी। 339 00:32:44,204 --> 00:32:48,750 ‎और पेड़ों की विविधता ‎किसी भी वर्षावन की बुनियाद है। 340 00:32:52,504 --> 00:32:55,465 ‎उष्णकटिबंधीय वर्षावनों के एक छोटे भाग में, 341 00:32:55,548 --> 00:32:58,760 ‎पेड़ों की करीब 700 अलग जातियाँ होती हैं, 342 00:32:58,843 --> 00:33:02,514 ‎जितनी पूरे उत्तरी अमरीका में पाई जाती हैं। 343 00:33:03,473 --> 00:33:09,938 ‎और फिर भी, हम इस ‎चकराने वाली विविधता को बदल रहे हैं। 344 00:33:11,439 --> 00:33:14,484 ‎ताड़ के पेड़ों की एकल खेती में। 345 00:33:18,029 --> 00:33:22,242 ‎एक ऐसे प्राकृतिक वास में ‎जो तुलना में बेकार है। 346 00:33:25,870 --> 00:33:30,375 ‎और आपको एक हरी चादर दिखाई देती है, ‎जिसमें इक्का-दुक्का पंछी दिख जाते हैं। 347 00:33:31,835 --> 00:33:34,254 ‎और आपको लगता है कि शायद यह ठीक ही है। 348 00:33:34,337 --> 00:33:35,755 ‎पर अगर हेलिकॉप्टर में बैठकर देखें तो, 349 00:33:35,839 --> 00:33:39,175 ‎लगभग आठ सौ मीटर चौड़ी पट्टी दिखाई देती है। 350 00:33:40,009 --> 00:33:41,636 ‎और उस पट्टी के पार, 351 00:33:41,719 --> 00:33:46,975 ‎बस ताड़ के पेड़ों की ‎सीधी कतारें दिखाई देती हैं। 352 00:33:56,067 --> 00:33:59,946 ‎जंगलों को काटने का दोहरा फ़ायदा होता है। 353 00:34:01,906 --> 00:34:03,658 ‎लोग लकड़ी से फ़ायदा उठाते हैं। 354 00:34:04,242 --> 00:34:08,538 ‎और फिर बची हुई धरती पर ‎खेती-बाड़ी करके उसका फ़ायदा उठाते हैं। 355 00:34:22,260 --> 00:34:27,891 ‎जिसकी वजह से हम दुनिया भर में ‎तीन खरब पेड़ काट चुके हैं। 356 00:34:27,974 --> 00:34:32,395 ‎दुनिया के आधे वर्षावन ‎साफ़ किए जा चुके हैं। 357 00:34:42,071 --> 00:34:43,656 ‎आज जो होते हुए दिख रहा है 358 00:34:43,740 --> 00:34:48,786 ‎वह पूरी सदी से होती आई ‎एक वैश्विक प्रक्रिया का नया अध्याय है। 359 00:34:55,168 --> 00:35:00,131 ‎बोर्नियो के जंगलों के कटने की वजह से ‎आरंगुटान की संख्या उस समय से 360 00:35:00,215 --> 00:35:05,595 ‎तीन-चौथाई घट गई है जब मैंने 60 साल पहले ‎उन्हें पहली बार देखा था। 361 00:35:12,852 --> 00:35:15,605 ‎हम हमेशा तो वर्षावन नहीं काटते रह सकते, 362 00:35:15,688 --> 00:35:20,360 ‎और जो भी चीज़ हम हमेशा नहीं कर सकते, ‎उसे अव्यावहारिक कहते हैं। 363 00:35:21,528 --> 00:35:24,489 ‎अगर हम अव्यावहारिक चीज़ें करेंगे, 364 00:35:24,572 --> 00:35:30,620 ‎तो उससे होने वाला नुकसान इतना हो जाएगा ‎कि पूरी प्रणाली ठप्प पड़ जाएगी। 365 00:35:32,080 --> 00:35:36,000 ‎कोई भी परितंत्र, चाहे वह ‎कितना ही बड़ा हो, सुरक्षित नहीं है। 366 00:35:38,461 --> 00:35:41,631 ‎महासागर जितना विशाल जलीय परितंत्र भी नहीं। 367 00:35:46,386 --> 00:35:50,974 ‎यह प्रकृतिक वास "द ब्लू प्लैनेट" ‎नाम की सीरीज़ का विषय था, 368 00:35:51,057 --> 00:35:53,685 ‎जो हम 1990 के दशक के ‎अंतिम सालों में फ़िल्मा रहे थे। 369 00:35:59,399 --> 00:36:01,943 ‎सन् 1998 - दुनिया की आबादी : 5.9 अरब 370 00:36:02,026 --> 00:36:04,153 ‎वायुमंडल में कार्बन : 360 भाग प्रति दस लाख 371 00:36:04,237 --> 00:36:05,780 ‎बचा निर्जन इलाका : 46 प्रतिशत 372 00:36:07,615 --> 00:36:13,079 ‎वह एक अज्ञात दुनिया की ‎हैरान कर देने वाली झलक थी। 373 00:36:13,162 --> 00:36:17,292 ‎वह दुनिया जो पृथ्वी पर ‎शुरुआत के समय से बरकरार है। 374 00:36:25,383 --> 00:36:28,803 ‎हर तरह की चीज़ें जिनके अस्तित्व का ‎आपको अंदाज़ा भी नहीं था, 375 00:36:28,886 --> 00:36:33,182 ‎सारी की सारी अलग-अलग रंगों में, ‎सब की सब बेइंतिहा ख़ूबसूरत। 376 00:36:37,186 --> 00:36:41,983 ‎और वे सब आपकी मौजूदगी से ‎बिल्कुल अछूती हैं। 377 00:36:50,199 --> 00:36:54,287 ‎महासागर का ज़्यादातर विस्तार खाली होता है। 378 00:36:56,205 --> 00:36:59,542 ‎पर कुछ जगहों पर ऐसे ख़ास बिंदु होते हैं 379 00:36:59,626 --> 00:37:02,337 ‎जहाँ पर धाराएँ पोषक तत्वों को ‎सतह पर लेकर आती हैं 380 00:37:02,420 --> 00:37:05,673 ‎और जीवन के प्रस्फुटन को अंजाम देती है। 381 00:37:11,512 --> 00:37:15,516 ‎ऐसी जगहों पर, ‎मछलियों के बड़े-बड़े झुंड इकट्ठा होते हैं। 382 00:37:23,691 --> 00:37:26,194 ‎समस्या यह है कि मछली पकड़ने वाले 383 00:37:26,277 --> 00:37:30,531 ‎हमारे जहाज़ी बेड़े इन जगहों ‎को ढूँढने में उतने ही माहिर हैं। 384 00:37:32,408 --> 00:37:37,872 ‎जब ऐसा होता है, वे इन इकट्ठा हुए झुंड को ‎आसानी से पकड़ लेते हैं। 385 00:37:41,876 --> 00:37:45,171 ‎यह '50 के दशक की ही बात है ‎जब बड़े जहाज़ी बेड़े 386 00:37:45,254 --> 00:37:48,716 ‎पहली बार दुनिया भर के मुक्त महासागरों की 387 00:37:49,592 --> 00:37:53,221 ‎फसल को बटोरने के लिए ‎अंतरराष्ट्रीय समुद्रों में उतरे थे। 388 00:37:55,473 --> 00:38:00,311 ‎अभी तक, वे समुद्र की 90 प्रतिशत ‎बड़ी मछलियों को ख़त्म कर चुके हैं। 389 00:38:08,069 --> 00:38:11,614 ‎पहले, वे अपने जाल में ‎ढेर सारी मछलियाँ पकड़ लेते थे। 390 00:38:12,865 --> 00:38:15,493 ‎पर कुछ सालों के अंदर, 391 00:38:15,576 --> 00:38:19,872 ‎दुनिया भर में जाल खाली वापस आने लगे। 392 00:38:21,541 --> 00:38:24,377 ‎जल्द ही इतनी कम मछलियाँ पकड़ में आने लगीं 393 00:38:24,877 --> 00:38:29,465 ‎कि देश उस उद्योग को बचाने के लिए ‎जहाज़ों को आर्थिक मदद देने लगे। 394 00:38:34,595 --> 00:38:38,141 ‎बड़ी मछलियों ‎और दूसरे समुद्री शिकारी जीवों के बिना, 395 00:38:38,224 --> 00:38:41,477 ‎महासागरीय पोषक तत्वों का चक्र अटक जाता है। 396 00:38:48,276 --> 00:38:52,947 ‎शिकारी जीव महासागर में सूर्य से रौशन ‎जल में पोषक तत्वों को बनाए रखते हैं, 397 00:38:53,030 --> 00:38:57,660 ‎उन्हें पुनर्चक्रित करते हैं ताकि प्लवक ‎उन्हें बार-बार इस्तेमाल कर सकें। 398 00:39:02,457 --> 00:39:03,750 ‎शिकारी जीवों के बिना, 399 00:39:03,833 --> 00:39:07,044 ‎पोषक तत्व सदियों तक ‎सागर की गहराई में खो जाते हैं 400 00:39:07,128 --> 00:39:10,339 ‎और वे ख़ास बिंदु खत्म होने लगते हैं। 401 00:39:11,507 --> 00:39:14,010 ‎महासागर ख़त्म होने लगते हैं। 402 00:39:19,432 --> 00:39:23,895 ‎महासागर में पनपने वाला जीवन ‎उथले सागरों में भी तबाह हो रहा था। 403 00:39:29,442 --> 00:39:32,820 ‎सन् 1998 में, "ब्लू प्लैनेट" का फ़िल्मी दल 404 00:39:32,904 --> 00:39:36,240 ‎ऐसी घटना का गवाह बना ‎जो उस वक्त कम ही मालूम थी। 405 00:39:39,911 --> 00:39:43,247 ‎मूँगे की चट्टानें सफ़ेद हो रही थीं। 406 00:39:47,585 --> 00:39:51,798 ‎उस सफ़ेद रंग की वजह थी मूँगों की चट्टानों ‎द्वारा उन शैवालों को निकालना 407 00:39:51,881 --> 00:39:54,967 ‎जो उनके शरीर में सहजीवी बनकर रहते हैं। 408 00:40:02,183 --> 00:40:03,684 ‎जब उसे पहली बार देखते हैं, 409 00:40:03,768 --> 00:40:07,897 ‎तो वह बेहद सुंदर लगता है, पर फिर ‎एहसास होता है यह कितने दुख की बात है। 410 00:40:08,523 --> 00:40:11,234 ‎क्योंकि आप जो देख रहे हैं वे कंकाल हैं। 411 00:40:11,317 --> 00:40:13,736 ‎मरे हुए जीवों के कंकाल। 412 00:40:21,536 --> 00:40:25,498 ‎वे सफ़ेद मूँगे की चट्टानें ‎आखिरकार समुद्री खरपतवार से ढक जाती हैं। 413 00:40:26,165 --> 00:40:31,838 ‎और वे मूँगे की चट्टानें परीलोक से ‎ऊसर में बदल जाती है। 414 00:40:36,759 --> 00:40:40,137 ‎पहले, सफ़ेद होने का कारण एक रहस्य था। 415 00:40:40,221 --> 00:40:44,934 ‎पर वैज्ञानिकों ने पता लगाया ‎कि कई बार जहाँ पर चट्टानें सफ़ेद हुई थीं, 416 00:40:45,518 --> 00:40:47,520 ‎वहाँ महासागर गर्म हो रहा था। 417 00:40:48,521 --> 00:40:49,522 ‎कुछ समय से, 418 00:40:49,605 --> 00:40:53,150 ‎पर्यावरण वैज्ञानिक आगाह करते आए थे ‎कि पृथ्वी का तापमान 419 00:40:53,234 --> 00:40:57,238 ‎पेट्रोल-डीज़ल जैसे ईंधनों को जलाने ‎और वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड 420 00:40:57,321 --> 00:41:00,700 ‎और दूसरी ग्रीनहाउस गैसों के ‎छोड़ने से बढ़ जाएगा। 421 00:41:04,203 --> 00:41:06,455 ‎वायुमंडल की कार्बन मात्रा में साफ़ बदलाव 422 00:41:06,539 --> 00:41:10,084 ‎एक स्थिर पृथ्वी के लिए ‎हमेशा से बेमेल रहा है। 423 00:41:10,877 --> 00:41:14,714 ‎यह पाँचों महाविलुप्तियों की ख़ासियत थी। 424 00:41:19,760 --> 00:41:20,803 ‎पिछली घटनाओं में, 425 00:41:20,887 --> 00:41:25,641 ‎करीब दस लाख सालों की ‎ज्वालामुखी गतिविधियों के कारण 426 00:41:25,725 --> 00:41:30,479 ‎पृथ्वी के भीतर इतना कार्बन उत्पन्न हुआ था ‎कि उसका विनाशकारी परिणाम निकला। 427 00:41:32,773 --> 00:41:36,277 ‎कोयले और तेल के रूप में 428 00:41:36,360 --> 00:41:39,572 ‎एक साथ लाखों सालों के जीवाश्म जलाकर, 429 00:41:39,655 --> 00:41:43,701 ‎हमने वह 200 से कम सालों में ‎मुमकिन कर लिया था। 430 00:41:45,703 --> 00:41:50,124 ‎दुनिया भर में हवा का तापमान '90 के दशक तक ‎करीब-करीब स्थिर ही रहा है। 431 00:41:50,625 --> 00:41:53,669 ‎पर अब यह लग रहा है कि ऐसा इसलिए था 432 00:41:53,753 --> 00:41:58,424 ‎क्योंकि महासागर उस अतिरिक्त गर्मी को ‎समाकर, उसके असर को छिपा रहे थे। 433 00:42:01,719 --> 00:42:03,888 ‎मेरे लिए वह पहला इशारा था 434 00:42:03,971 --> 00:42:07,600 ‎कि पृथ्वी ने अपना संतुलन खोना ‎शुरू कर दिया है। 435 00:42:15,775 --> 00:42:18,277 ‎दुनिया में सबसे दूर ‎पाया जाने वाला प्रकृतिक वास 436 00:42:18,361 --> 00:42:22,239 ‎पृथ्वी के उत्तरी और ‎दक्षिणी छोर पर पाया जाता है। 437 00:42:23,532 --> 00:42:25,952 ‎लाइफ़ इन द फ़्रीज़र, 1993 438 00:42:26,827 --> 00:42:30,706 ‎मैंने कई दशकों के दौरान ‎ध्रुवीय इलाकों का दौरा किया है। 439 00:42:33,751 --> 00:42:35,086 ‎फ़्रोज़ेन प्लैनेट, 2011 440 00:42:35,169 --> 00:42:38,714 ‎वे हमेशा ऐसी जगहें रही हैं ‎जो कल्पना से परे हैं। 441 00:42:39,298 --> 00:42:42,510 ‎ऐसा दृश्य जो धरती पर ‎और कहीं देखने को नहीं मिलता। 442 00:42:44,178 --> 00:42:49,266 ‎और अनोखी प्रजातियाँ जो भीषण ठंड में भी ‎जीने के लिए ढल चुकी होती हैं। 443 00:42:53,020 --> 00:42:55,314 ‎पर वह दूर-दराज़ की दुनिया बदल रही है। 444 00:42:58,401 --> 00:43:03,406 ‎अपने समय में, मैंने आर्कटिक की ‎गर्मियों के तापमान में इज़ाफ़ा देखा है। 445 00:43:06,075 --> 00:43:08,119 ‎हम ऐसे ठिकानों पर गए हैं, 446 00:43:08,202 --> 00:43:12,331 ‎जहाँ समुद्री बर्फ़ के विशाल विस्तार की ‎उम्मीद थी पर हमें कुछ नहीं मिला। 447 00:43:15,543 --> 00:43:17,461 ‎हम ऐसे द्वीपों तक नाव से गए हैं 448 00:43:17,545 --> 00:43:21,048 ‎जहाँ अब तक जाना नामुमकिन था 449 00:43:21,132 --> 00:43:24,093 ‎क्योंकि वहाँ हमेशा बर्फ़ का डेरा रहता था। 450 00:43:27,096 --> 00:43:32,184 ‎जब तक 2011 में ‎फ़्रोज़ेन प्लैनेट प्रसारित हुई, 451 00:43:32,268 --> 00:43:35,396 ‎इन बदलावों के कारण साफ़ हो चुके थे। 452 00:43:40,234 --> 00:43:43,863 ‎महासागर काफ़ी समय से ‎हमारी गतिविधियों की वजह से पैदा हुई 453 00:43:43,946 --> 00:43:48,117 ‎फ़ालतू गर्मी को सोख नहीं पा रहे थे। 454 00:43:48,993 --> 00:43:52,246 ‎इसके नतीजतन, आज दुनिया का औसत तापमान 455 00:43:52,329 --> 00:43:56,792 ‎मेरे जन्म के समय से ‎एक डिग्री सेल्सियस ज़्यादा है। 456 00:44:02,339 --> 00:44:07,595 ‎बदलाव की ऐसी रफ़्तार जो ‎पिछले 10,000 सालों से ज़्यादा है। 457 00:44:15,019 --> 00:44:20,733 ‎आर्कटिक में गर्मियों में समुद्री बर्फ़ ‎40 सालों में 40 प्रतिशत घट गई है। 458 00:44:23,027 --> 00:44:25,696 ‎हमारा ग्रह अपनी बर्फ़ खो रहा है। 459 00:44:31,619 --> 00:44:37,500 ‎यह बेहद प्राचीन और दूर-दराज़ का ‎प्रकृतिक वास तबाही की ओर जा रहा है। 460 00:44:55,601 --> 00:44:58,854 ‎अब हमने दुनिया भर में अपनी छाप छोड़ दी है। 461 00:44:59,647 --> 00:45:02,775 ‎हमारा प्रभाव अब वाकई गहरा हो गया है। 462 00:45:03,359 --> 00:45:05,236 ‎पृथ्वी पर हमारे बेतहाशा हमले ने 463 00:45:05,319 --> 00:45:09,949 ‎आख़िरकार जीव जगत के आधार को बदल दिया है। 464 00:45:18,457 --> 00:45:23,546 ‎हम 30 प्रतिशत ज़्यादा मछलियाँ पकड़कर ‎इस भंडार को संकट पूर्ण स्तर पर ले आए हैं। 465 00:45:26,090 --> 00:45:30,469 ‎हम हर साल 15 अरब पेड़ काटते हैं। 466 00:45:32,972 --> 00:45:37,726 ‎पृथ्वी की नदियों और झीलों पर बाँध बनाकर, ‎उन्हें दूषित और ज़्यादा इस्तेमाल करके, 467 00:45:37,810 --> 00:45:43,482 ‎हमने मीठे जल की आबादी को ‎80 प्रतिशत से ज़्यादा घटा दिया है। 468 00:45:44,275 --> 00:45:47,903 ‎हम जंगली को पालतू से बदल रहे हैं। 469 00:45:52,199 --> 00:45:57,413 ‎पृथ्वी की आधी उपजाऊ भूमि अब कृषि भूमि है। 470 00:46:04,003 --> 00:46:09,675 ‎इस पृथ्वी पर अब 70 प्रतिशत पंछी पालतू हैं। 471 00:46:10,259 --> 00:46:13,179 ‎उनमें सबसे ज़्यादातर मुर्गियाँ है। 472 00:46:17,183 --> 00:46:22,354 ‎पृथ्वी पर स्तनधारियों का ‎एक-तिहाई वज़न अब हमारा है। 473 00:46:23,314 --> 00:46:27,526 ‎उसके बाद 60 प्रतिशत उन जानवरों का ‎जो हम भोजन के लिए पालते हैं। 474 00:46:32,781 --> 00:46:37,953 ‎बाकी, चूहों से लेकर व्हेल मछली तक, ‎बस चार प्रतिशत हिस्सा है। 475 00:46:41,332 --> 00:46:44,084 ‎अब यह हमारी पृथ्वी है, 476 00:46:44,168 --> 00:46:47,463 ‎जो मानव जाति द्वारा ‎मानव जाति के लिए चलाई जा रही है। 477 00:46:47,546 --> 00:46:51,133 ‎बाकी के जीव जगत के लिए बहुत कम बचा है। 478 00:46:57,514 --> 00:47:00,601 ‎सन् 1950 के दशक से, ‎जब से मैंने फ़िल्म बनाना शुरू किया था, 479 00:47:00,684 --> 00:47:06,273 ‎जंगली जानवरों की संख्या ‎औसतन, आधे से भी कम हो गई है। 480 00:47:09,068 --> 00:47:12,404 ‎मैं अब इन तस्वीरों को देखता हूँ ‎और मुझे एहसास होता है, 481 00:47:12,488 --> 00:47:15,991 ‎हालाँकि जवानी में मुझे ‎यह लगता था कि मैं निर्जन जंगलों में 482 00:47:16,075 --> 00:47:19,662 ‎अनछुई प्राकृतिक दुनिया को ‎अनुभव कर रहा हूँ, 483 00:47:20,246 --> 00:47:21,372 ‎पर वह एक भ्रम था। 484 00:47:23,707 --> 00:47:28,629 ‎वे जंगल, और मैदान, और समुद्र ‎पहले से ही खाली होने लगे थे। 485 00:47:34,134 --> 00:47:36,679 ‎तो, दुनिया उतने ‎प्राकृतिक रूप में नहीं है, जितनी कि थी। 486 00:47:38,013 --> 00:47:41,475 ‎हमने इसे तबाह कर दिया है। ‎केवल बर्बाद नहीं किया। 487 00:47:41,558 --> 00:47:45,896 ‎मतलब, हमने उस दुनिया को ‎पूरी तरह तबाह कर दिया है। 488 00:47:45,980 --> 00:47:49,191 ‎वह बिना इंसानों वाली ‎दुनिया ख़त्म हो गई है। 489 00:47:51,443 --> 00:47:53,612 ‎मनुष्य दुनिया को लूट चुके हैं। 490 00:48:35,738 --> 00:48:39,199 ‎यही मेरी गवाही है। 491 00:48:39,867 --> 00:48:44,705 ‎एक जीवनकाल में दुनिया के पतन की कहानी। 492 00:48:49,668 --> 00:48:51,962 ‎पर यह यहीं ख़त्म नहीं होता। 493 00:48:53,714 --> 00:48:55,966 ‎अगर हम इसी तरह आगे बढ़ते रहे, 494 00:48:56,050 --> 00:49:00,179 ‎उस बर्बादी को ‎जो मेरे जीवनकाल की साफ़ ख़ासियत रही है, 495 00:49:00,262 --> 00:49:04,683 ‎आगे आने वाली बर्बादी पूरी तरह पछाड़ देगी। 496 00:49:08,395 --> 00:49:10,356 ‎सन् 2020 - दुनिया की आबादी : 7.8 अरब 497 00:49:10,439 --> 00:49:12,733 ‎वायुमंडल में कार्बन : 415 भाग प्रति दस लाख 498 00:49:12,816 --> 00:49:14,985 ‎बचा निर्जन इलाका : 35 प्रतिशत 499 00:49:16,362 --> 00:49:20,949 ‎विज्ञान का अनुमान है ‎कि अगर मैं आज पैदा हुआ होता, 500 00:49:21,533 --> 00:49:24,244 ‎तो मैं इन चीज़ों का साक्षी होता। 501 00:49:26,955 --> 00:49:29,166 ‎सन् 2030 का दशक 502 00:49:29,249 --> 00:49:35,506 ‎अमेज़न वर्षावन, इतना कट चुका होगा ‎कि अब वह और नमी पैदा नहीं कर सकेगा, 503 00:49:36,340 --> 00:49:38,801 ‎बस एक सूखा घास का मैदान बन जाएगा, 504 00:49:39,385 --> 00:49:42,179 ‎जो प्रजातियों के ‎विनाशकारी अंत का कारण होगा, 505 00:49:43,389 --> 00:49:46,809 ‎और वैश्विक जल चक्र में बदलाव आ जाएगा। 506 00:49:53,482 --> 00:49:58,362 ‎साथ ही, गर्मियों में ‎आर्कटिक बर्फ़-मुक्त हो जाएगा। 507 00:50:00,989 --> 00:50:03,158 ‎बिना सफ़ेद बर्फ़ की टोपी के, 508 00:50:03,242 --> 00:50:06,954 ‎सूरज की ऊर्जा ‎वापस अंतरिक्ष में कम परावर्तित होगी। 509 00:50:08,288 --> 00:50:11,834 ‎और भूमंडलीय ऊष्मीकरण की रफ़्तार बढ़ जाएगी। 510 00:50:13,877 --> 00:50:16,922 ‎सन् 2040 का दशक 511 00:50:18,215 --> 00:50:24,096 ‎पूरे उत्तर में, जमी हुई मिट्टी पिघल जाएगी, ‎जिससे मीथेन गैस निकलेगी। 512 00:50:24,596 --> 00:50:29,268 ‎ऐसी ग्रीनहाउस गैस जो ‎कार्बन डाइऑक्साइड से भी ज़्यादा ताकतवर है। 513 00:50:30,394 --> 00:50:34,481 ‎जिससे जलवायु परिवर्तन की दर में ‎बहुत ज़्यादा इज़ाफ़ा होगा। 514 00:50:37,985 --> 00:50:41,613 ‎सन् 2050 का दशक 515 00:50:42,114 --> 00:50:46,034 ‎जैसे-जैसे महासागर और ‎गर्म होकर और अम्लीय होते जाएँगे, 516 00:50:46,118 --> 00:50:49,329 ‎दुनिया भर की ‎मूँगे की चट्टानें मरती जाएँगी। 517 00:50:52,958 --> 00:50:55,878 ‎मछलियों की तादाद गिरती जाएगी। 518 00:50:59,590 --> 00:51:03,218 ‎सन् 2080 का दशक 519 00:51:04,636 --> 00:51:10,601 ‎मिट्टी के ज़्यादा इस्तेमाल के कारण दुनिया ‎का खाद्य उत्पाद संकट में पड़ जाएगा। 520 00:51:19,735 --> 00:51:22,070 ‎परागण करने वाले कीड़े लुप्त हो जाएँगे। 521 00:51:24,615 --> 00:51:27,951 ‎और मौसम के बारे में ‎पूर्वानुमान लगना मुश्किल हो जाएगा। 522 00:51:30,537 --> 00:51:33,540 ‎सन् 2100 का दशक 523 00:51:33,624 --> 00:51:37,461 ‎हमारे ग्रह का तापमान ‎चार डिग्री सेल्सियस और बढ़ जाएगा। 524 00:51:39,630 --> 00:51:43,842 ‎पृथ्वी का बड़ा हिस्सा ‎रहने लायक नहीं रह जाएगा। 525 00:51:46,678 --> 00:51:49,890 ‎लाखों लोग बेघर हो जाएँगे। 526 00:51:53,352 --> 00:51:56,230 ‎छठी महाविलुप्ति की प्रक्रिया 527 00:51:57,314 --> 00:51:59,066 ‎चालू हो चुकी है। 528 00:52:05,447 --> 00:52:09,284 ‎यह एक-तरफ़ खुलने वाले ‎दरवाज़ों की श्रृंखला है 529 00:52:10,536 --> 00:52:13,121 ‎जो अचल परिवर्तन लेकर आएगी। 530 00:52:15,165 --> 00:52:17,709 ‎अगले जीवनकाल के दौरान, 531 00:52:18,585 --> 00:52:21,838 ‎हमारे ईडन के बगीचे, होलोसीन की 532 00:52:23,257 --> 00:52:25,342 ‎सुरक्षा और स्थिरता 533 00:52:27,010 --> 00:52:28,345 ‎ख़त्म हो जाएगी। 534 00:52:35,102 --> 00:52:37,563 ‎यूएन जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, 2018 535 00:52:37,646 --> 00:52:43,652 ‎इस वक्त, हम वैश्विक स्तर पर इंसान की ‎बनाई एक विपदा का सामना कर रहे हैं। 536 00:52:44,903 --> 00:52:47,322 ‎हज़ारों सालों में हमारा सबसे बड़ा ख़तरा। 537 00:52:48,323 --> 00:52:49,908 ‎अगर हमने कदम नहीं उठाया, 538 00:52:50,492 --> 00:52:52,995 ‎तो हमारी सभ्यता का विनाश 539 00:52:53,745 --> 00:52:59,209 ‎और ज़्यादातर प्राकृतिक दुनिया का ‎विलोपन करीब ही है। 540 00:52:59,876 --> 00:53:01,503 ‎इसे जितना नज़रअंदाज़ करेंगे, 541 00:53:02,004 --> 00:53:05,048 ‎इसका हल निकालना उतना ही मुश्किल हो जाएगा। 542 00:53:05,132 --> 00:53:06,133 ‎आईएमएफ़ वसंत बैठक, 2019 543 00:53:06,216 --> 00:53:08,135 ‎और आप आराम से रिटायर हो सकते थे। 544 00:53:09,511 --> 00:53:15,976 ‎पर अब आप हमें समझाना चाहते हैं ‎कि हम किस संकट में हैं। 545 00:53:18,395 --> 00:53:24,192 ‎और, एक तरह से, काश मैं ‎इस संघर्ष में शामिल ही नहीं होता। 546 00:53:25,110 --> 00:53:27,779 ‎क्योंकि काश यह संघर्ष ‎होता नहीं या ज़रूरी न होता। 547 00:53:28,280 --> 00:53:32,534 ‎पर किस्मत ने मेरा बहुत साथ दिया है। 548 00:53:33,994 --> 00:53:38,081 ‎और मुझे यकीनन बहुत पछतावा होता, 549 00:53:39,041 --> 00:53:44,463 ‎अगर मैं समस्याओं को देखकर भी ‎उन्हें नज़रअंदाज़ कर देता। 550 00:53:44,546 --> 00:53:45,922 ‎विश्व आर्थिक मंच 551 00:53:46,006 --> 00:53:47,591 ‎दावोस, 2019 552 00:53:47,674 --> 00:53:52,304 ‎सटे हुए शरीरों के ऊपर से फाँदना ही ‎भीड़ को पार करने का एकमात्र रास्ता है। 553 00:53:53,930 --> 00:53:56,475 ‎जो नीचे हैं वे कुचलकर मर सकते हैं। 554 00:54:13,909 --> 00:54:19,164 ‎हम जीव जगत के ‎पूरे विनाश का सामना कर रहे हैं। 555 00:54:20,999 --> 00:54:24,419 ‎वही चीज़ जिसने ‎हमारी सभ्यता को जन्म दिया था। 556 00:54:25,837 --> 00:54:30,133 ‎वह चीज़ जिस पर हम ‎अपने जीवन के हर पहलू के लिए निर्भर हैं। 557 00:54:33,470 --> 00:54:35,597 ‎कोई नहीं चाहता कि ऐसा हो। 558 00:54:36,264 --> 00:54:39,476 ‎हममें से कोई ऐसा होने का ‎जोखिम नहीं उठा सकता। 559 00:54:42,979 --> 00:54:44,815 ‎तो, हम क्या करें? 560 00:54:47,109 --> 00:54:48,819 ‎हल काफ़ी सीधा-सादा सा है। 561 00:54:49,778 --> 00:54:52,614 ‎वह तब से हमारे बिल्कुल सामने है। 562 00:54:54,991 --> 00:54:57,285 ‎पृथ्वी की स्थिरता को वापस पाने के लिए, 563 00:54:58,203 --> 00:55:00,831 ‎उसकी जैव विविधता को ‎फिर से स्थापित करना होगा। 564 00:55:03,166 --> 00:55:05,544 ‎वही चीज़ जिसे हमने नष्ट किया था। 565 00:55:09,881 --> 00:55:13,885 ‎हमारी बनाई हुई इस विपदा से ‎निकलने का यही इकलौता तरीका है। 566 00:55:16,722 --> 00:55:20,100 ‎फिर से दुनिया का ‎प्राकृतिक स्वरूप लौटाना होगा। 567 00:56:00,015 --> 00:56:03,935 ‎दुनिया का प्राकृतिक स्वरूप लौटाना ‎आपकी सोच से कहीं ज़्यादा आसान है। 568 00:56:04,603 --> 00:56:06,313 ‎और जो बदलाव हमें करने हैं 569 00:56:06,396 --> 00:56:10,358 ‎उनसे हमें और आगे आने वाली ‎पीढ़ियों का भला होगा। 570 00:56:11,526 --> 00:56:15,822 ‎आज से एक सदी बाद, हमारी पृथ्वी ‎एक बार फिर जंगलों से फल-फूल सकती है। 571 00:56:16,615 --> 00:56:18,492 ‎और बताता हूँ कि ऐसा कैसे होगा। 572 00:56:26,249 --> 00:56:32,172 ‎पृथ्वी की हर प्रजाति एक समय पर ‎अपनी अधिकतम तादाद पर पहुँचती है। 573 00:56:33,548 --> 00:56:37,761 ‎वह तादाद जो उपलब्ध ‎प्राकृतिक संसाधनों पर जीवित रह सके। 574 00:56:40,680 --> 00:56:42,182 ‎कोई रुकावट न होने के कारण, 575 00:56:42,265 --> 00:56:47,020 ‎मेरे जीवनकाल में ‎हमारी जनसंख्या तेज़ी से बढ़ी है। 576 00:56:47,938 --> 00:56:49,564 ‎हालिया अनुमान के हिसाब से, 577 00:56:49,648 --> 00:56:55,362 ‎पृथ्वी पर सन् 2100 तक 11 अरब लोग होंगे। 578 00:56:56,238 --> 00:56:58,031 ‎पर उस स्तर पर पहुँचने से पहले 579 00:56:58,114 --> 00:57:03,411 ‎इसे कम करना, ‎जनसंख्या में वृद्धि को रोकना भी मुमकिन है। 580 00:57:08,166 --> 00:57:10,126 ‎जापान के रहन-सहन के स्तर में 581 00:57:10,210 --> 00:57:13,797 ‎बीसवीं सदी के अंत में ‎बहुत ज़्यादा इज़ाफ़ा हुआ। 582 00:57:15,090 --> 00:57:17,926 ‎जैसे-जैसे स्वास्थ्य सेवा ‎और शिक्षा में सुधार हुआ, 583 00:57:18,009 --> 00:57:21,513 ‎लोगों की उम्मीदें और अवसर बढ़ते गए, 584 00:57:21,596 --> 00:57:23,932 ‎और जन्म दर में गिरावट हुई। 585 00:57:25,559 --> 00:57:31,231 ‎सन् 1950 में, एक जापानी परिवार में ‎आमतौर पर तीन या ज़्यादा बच्चे होते थे। 586 00:57:32,440 --> 00:57:36,403 ‎सन् 1975 तक, यह औसत दो का हो गया। 587 00:57:39,531 --> 00:57:43,159 ‎नतीजा यह हुआ कि अब जनसंख्या स्थिर हो गई है 588 00:57:43,243 --> 00:57:46,454 ‎और सन् 2000 से मुश्किल से बढ़ी है। 589 00:57:48,331 --> 00:57:52,210 ‎ऐसा पूरे विश्व भर में होने के ‎संकेत मिलने लगे हैं। 590 00:57:54,963 --> 00:57:59,551 ‎जैसे-जैसे देश विकसित हो रहे हैं, ‎लोग कम बच्चे पैदा करना पसंद कर रहे हैं। 591 00:58:03,972 --> 00:58:07,350 ‎हर साल दुनिया भर में ‎पैदा होने वाले बच्चों की संख्या 592 00:58:07,934 --> 00:58:10,061 ‎बराबर होने वाली है। 593 00:58:12,147 --> 00:58:14,691 ‎जनसंख्या में अब भी वृद्धि होने की एक वजह 594 00:58:15,317 --> 00:58:17,319 ‎यह है कि हम में से ‎कई लोग ज़्यादा जी रहे हैं। 595 00:58:19,946 --> 00:58:21,615 ‎भविष्य में कभी न कभी, 596 00:58:22,115 --> 00:58:26,328 ‎मानव जनसंख्या पहली बार ‎उच्चतम तादाद पर पहुँचेगी। 597 00:58:27,579 --> 00:58:29,080 ‎ऐसा जितनी जल्दी होगा, 598 00:58:29,164 --> 00:58:32,751 ‎यह उन बाकी सब चीज़ों को ‎आसान बनाएगा जो हमें करनी हैं। 599 00:58:37,130 --> 00:58:40,091 ‎लोगों को गरीबी से निकालने की ‎पुरजोर कोशिश करके, 600 00:58:40,800 --> 00:58:43,511 ‎सबको स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराके, 601 00:58:44,179 --> 00:58:48,975 ‎और ख़ासकर लड़कियों की पढ़ाई ‎जब तक हो सके जारी रखवाकर, 602 00:58:49,059 --> 00:58:53,146 ‎हम इसे उच्चतम स्तर तक ‎जल्दी और निचले स्तर पर पहुँचा सकते हैं। 603 00:58:54,981 --> 00:58:57,442 ‎हम ये चीज़ें क्यों नहीं करना चाहेंगे? 604 00:58:57,525 --> 00:58:59,653 ‎वैसे भी हम यही चाहते हैं कि लोगों को 605 00:58:59,736 --> 00:59:01,863 ‎ज़िंदगी जीने का बेहतर मौका मिले। 606 00:59:02,530 --> 00:59:06,701 ‎इसकी तरकीब यह है कि दुनिया पर ‎अपने असर को बढ़ाए बिना 607 00:59:06,785 --> 00:59:10,246 ‎दुनिया भर में रहन-सहन के स्तर को बढ़ाना। 608 00:59:10,330 --> 00:59:11,915 ‎यह भले ही नामुमकिन लगे, 609 00:59:11,998 --> 00:59:14,751 ‎पर इसे मुकम्मल करने के तरीके हैं। 610 00:59:24,177 --> 00:59:27,973 ‎जीव जगत मूल रूप से सौर ऊर्जा पर चलता है। 611 00:59:30,600 --> 00:59:32,143 ‎पृथ्वी के पेड़-पौधे 612 00:59:32,227 --> 00:59:37,565 ‎हर दिन तीन खरब किलोवॉट-घंटों की ‎सौर ऊर्जा को सोखते हैं। 613 00:59:38,566 --> 00:59:44,614 ‎यह हमारी ज़रूरत से 20 गुना ऊर्जा है, ‎जो केवल सूरज की रोशनी से मिलती है। 614 00:59:49,119 --> 00:59:52,455 ‎सोचिए अगर हम सारे ‎जीवाश्म ईंधनों का इस्तेमाल कम करके 615 00:59:53,039 --> 00:59:57,919 ‎अपनी दुनिया को प्रकृति की ‎शाश्वत ऊर्जाओं से चलाएँ। 616 00:59:58,920 --> 01:00:04,009 ‎जैसे सूरज की रोशनी, हवा, पानी और भू-ताप। 617 01:00:10,348 --> 01:00:12,267 ‎इस सदी की शुरुआत में, 618 01:00:12,350 --> 01:00:18,273 ‎मोरक्को ऊर्जा के लिए पूरी तरह से ‎तेल और गैस के आयात पर निर्भर था। 619 01:00:19,107 --> 01:00:23,028 ‎आज, वह अपनी ज़रूरत की ‎40 प्रतिशत ऊर्जा अपने देश में बनाता है, 620 01:00:23,778 --> 01:00:30,410 ‎शाश्वत ऊर्जा संयंत्रों के जाल से, जिसमें ‎दुनिया का सबसे बड़ा सौर फ़ार्म भी है। 621 01:00:34,414 --> 01:00:36,041 ‎सहारा के किनारे पर स्थित, 622 01:00:37,125 --> 01:00:39,753 ‎और तारों द्वारा ‎दक्षिणी यूरोप से सीधे जुड़कर, 623 01:00:40,336 --> 01:00:46,760 ‎मोरक्को 2050 तक ‎सौर ऊर्जा का निर्यातक हो सकता है। 624 01:00:53,516 --> 01:01:00,231 ‎अनुमान है कि बीस सालों में, शाश्वत ऊर्जा ‎दुनिया में बिजली का मुख्य स्रोत होगी। 625 01:01:01,566 --> 01:01:04,486 ‎पर हम उन्हें इकलौता स्रोत बना सकते हैं। 626 01:01:05,445 --> 01:01:11,826 ‎बेहद अजीब बात है कि हमारे बैंक और पेंशन ‎जीवाश्म ईंधनों पर निवेश कर रहे हैं, 627 01:01:12,786 --> 01:01:14,579 ‎जबकि यही चीज़ें उस भविष्य को 628 01:01:14,662 --> 01:01:18,291 ‎ख़तरे में डाल रही हैं ‎जिसके लिए हम बचत कर रहे हैं। 629 01:01:21,044 --> 01:01:24,547 ‎शाश्वत ऊर्जा का भविष्य ‎फ़ायदों से भरा होगा। 630 01:01:25,298 --> 01:01:28,510 ‎हर जगह ऊर्जा और सस्ती हो जाएगी। 631 01:01:29,803 --> 01:01:32,806 ‎हमारे शहर और साफ़ और शांत हो जाएँगे। 632 01:01:34,015 --> 01:01:37,185 ‎और शाश्वत ऊर्जा कभी ख़त्म नहीं होगी। 633 01:01:52,700 --> 01:01:58,331 ‎जीव जगत एक स्वस्थ महासागर के बिना ‎नहीं चल सकता और न ही हम चल सकते हैं। 634 01:02:04,879 --> 01:02:09,968 ‎वायुमंडल में कार्बन कम करने के ‎संघर्ष में महासागर हमारा अहम साथी है। 635 01:02:12,929 --> 01:02:17,308 ‎वह जितना विविध होगा, ‎उतने ही बख़ूबी इस काम को मुकम्मल करेगा। 636 01:02:34,868 --> 01:02:40,456 ‎और ज़ाहिर है, आहार के स्रोत के रूप में ‎महासागर हमारे लिए बेहद अहम है। 637 01:02:43,293 --> 01:02:46,671 ‎मछली पकड़ना दुनिया की सबसे बड़ी फ़सल है। 638 01:02:46,754 --> 01:02:50,049 ‎और अगर हम ठीक से करें, ‎तो वह बरकरार रह सकती है, 639 01:02:51,134 --> 01:02:54,512 ‎क्योंकि दोनों का फ़ायदा है। 640 01:02:55,513 --> 01:02:57,557 ‎जलीय प्राकृतिक वास जितना स्वस्थ होगा, 641 01:02:57,640 --> 01:03:01,603 ‎मछलियों की तादाद उतनी ही अधिक होगी, ‎और हमारे लिए उतना ही खाना होगा। 642 01:03:09,068 --> 01:03:12,780 ‎पलाउ प्रशांत महासागर का एक द्वीप देश है 643 01:03:12,864 --> 01:03:17,702 ‎जो मछली और पर्यटन के लिए ‎मूँगों की चट्टानों पर निर्भर है। 644 01:03:21,915 --> 01:03:24,250 ‎जब मछलियों की तादाद कम होने लगी, 645 01:03:24,334 --> 01:03:28,504 ‎पलाउ में रहने वाले लोगों ने ‎मछली पकड़ना कम कर दिया, 646 01:03:28,588 --> 01:03:32,425 ‎और कुछ इलाकों में पूरी तरह बंद कर दिया। 647 01:03:35,678 --> 01:03:39,474 ‎संरक्षित मछलियों की संख्या में ‎जल्द ही इतनी बढ़ोतरी हुई 648 01:03:39,557 --> 01:03:43,144 ‎कि वे मछली पकड़ने वाले क्षेत्रों तक आ गईं। 649 01:03:48,733 --> 01:03:49,776 ‎नतीजतन, 650 01:03:49,859 --> 01:03:54,113 ‎"नो फ़िश" वाले क्षेत्रों में स्थानीय ‎मछुआरों के फ़ायदे में इज़ाफ़ा किया, 651 01:03:54,197 --> 01:03:58,368 ‎और साथ ही मूँगे की ‎चट्टानें भी बेहतर हो गईं। 652 01:04:03,248 --> 01:04:07,877 ‎सोचिए कि अगर हम यही तरीका ‎पूरी दुनिया में इस्तेमाल करें। 653 01:04:08,920 --> 01:04:14,050 ‎आकड़ों के हिसाब से हमारे एक-तिहाई ‎तटीय समुद्र के "नो फ़िश" वाले क्षेत्र 654 01:04:14,133 --> 01:04:18,972 ‎हमारी मछली की ‎सभी ज़रूरतों के लिए काफ़ी होंगे। 655 01:04:24,686 --> 01:04:26,562 ‎अंतरराष्ट्रीय समुद्रों में, 656 01:04:26,646 --> 01:04:32,277 ‎यूएन आज तक का सबसे बड़ा "नो फ़िश" वाला ‎क्षेत्र बनाने की कोशिश में है। 657 01:04:34,487 --> 01:04:38,157 ‎इस एक ही कदम से, यह खुले समंदर को 658 01:04:38,241 --> 01:04:42,036 ‎आर्थिक छूट वाले ‎जहाज़ी बेड़ों से भरे क्षेत्र से 659 01:04:42,620 --> 01:04:47,834 ‎निर्जन इलाके में बदल देगा जो ‎जलवायु परिवर्तन से जूझने में मददगार होगी। 660 01:04:49,502 --> 01:04:52,213 ‎दुनिया का सबसे बड़ा जैवमंडल विहार। 661 01:05:08,855 --> 01:05:10,940 ‎अगर धरती की बात करें, 662 01:05:11,024 --> 01:05:14,694 ‎हमें खेती-बाड़ी के क्षेत्र को ‎काफ़ी ज़्यादा कम करना होगा, 663 01:05:14,777 --> 01:05:17,613 ‎ताकि निर्जन इलाकों की ‎वापसी के लिए जगह बना सकें। 664 01:05:17,697 --> 01:05:22,744 ‎और अपने भोजन में बदलाव लाना ही ‎ऐसा करने का सबसे तेज़ और कारगर तरीका है। 665 01:05:28,416 --> 01:05:31,085 ‎प्रकृति में विशाल माँसाहारी दुर्लभ हैं 666 01:05:31,169 --> 01:05:34,839 ‎क्योंकि उन सबके ‎भरण-पोषण के लिए बहुत शिकार चाहिए। 667 01:05:41,512 --> 01:05:44,599 ‎सेरेंगेटी के हर शिकारी जीव के लिए, 668 01:05:44,682 --> 01:05:47,769 ‎सौ से ज़्यादा शिकार जानवर होते हैं। 669 01:05:52,190 --> 01:05:54,150 ‎जब हम खाने के लिए गोश्त चुनते हैं, 670 01:05:54,233 --> 01:05:59,364 ‎हम भी अनजाने में ‎बहुत बड़े विस्तार की माँग करते हैं। 671 01:06:04,243 --> 01:06:09,290 ‎पृथ्वी अरबों बड़े माँसाहारियों का ‎भरण-पोषण नहीं कर सकती। 672 01:06:09,791 --> 01:06:11,542 ‎इतनी जगह ही नहीं है। 673 01:06:16,089 --> 01:06:19,175 ‎अगर हमारा आहार मुख्य रूप से शाकाहारी हो, 674 01:06:20,176 --> 01:06:23,971 ‎तो हमें अभी की तुलना में ‎केवल आधी ज़मीन की ज़रूरत होगी। 675 01:06:25,556 --> 01:06:29,560 ‎और तब हम अधिक पेड़-पौधे उगाने लगेंगे, 676 01:06:29,644 --> 01:06:33,439 ‎तो हम इस धरती की उपज को ‎काफ़ी हद तक बढ़ा पाएँगे। 677 01:06:39,278 --> 01:06:44,367 ‎नीदरलैंड दुनिया के ‎सबसे घनी आबादी वाले देशों में से एक है। 678 01:06:45,618 --> 01:06:50,790 ‎यहाँ भरपूर पारिवारिक खेत हैं ‎जिनका विस्तार नहीं बढ़ाया जा सकता। 679 01:06:53,709 --> 01:06:59,257 ‎तो, डच किसान हर हेक्टेयर का ‎पूरा फ़ायदा उठाने में माहिर हो गए हैं। 680 01:07:02,051 --> 01:07:05,304 ‎लगातार, वे इसे टिकाऊ तरीके से कर रहे हैं। 681 01:07:08,599 --> 01:07:14,856 ‎दो पीढ़ियों में उपज को ‎दस गुना बढ़ाकर और साथ ही कम पानी, 682 01:07:15,523 --> 01:07:21,112 ‎कम कीटनाशक, कम खाद का ‎इस्तेमाल करके, और कम कार्बन छोड़कर। 683 01:07:25,908 --> 01:07:27,118 ‎अपने आकार के बावजूद, 684 01:07:27,201 --> 01:07:32,665 ‎नीदरलैंड खाद्य पदार्थों में दुनिया का ‎दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। 685 01:07:37,211 --> 01:07:43,176 ‎यह बिल्कुल मुमकिन है कि ‎कम और ज़्यादा तकनीक वाले हल के इस्तेमाल से 686 01:07:43,259 --> 01:07:46,929 ‎कम से कम ज़मीन पर ‎ज़्यादा से ज़्यादा खाद्यान्न पैदा कर सकें। 687 01:07:49,140 --> 01:07:52,727 ‎हम नई जगहों पर ‎खाद्यान्न की पैदावार शुरू कर सकते हैं। 688 01:07:55,188 --> 01:07:58,107 ‎चहारदीवारी के अंदर, शहरों में। 689 01:08:01,444 --> 01:08:04,780 ‎ऐसी जगहों पर भी जहाँ ज़मीन है ही नहीं। 690 01:08:18,503 --> 01:08:20,963 ‎जैसे-जैसे हम खेती-बाड़ी का तरीका बदलेंगे, 691 01:08:21,047 --> 01:08:25,176 ‎हम ज़मीन पर अपने कब्ज़े को पलट देंगे जो हम 692 01:08:25,259 --> 01:08:27,345 ‎खेती-बाड़ी की शुरुआत से करते आए हैं, 693 01:08:28,054 --> 01:08:34,143 ‎जो कि बेहद ज़रूरी है क्योंकि हमें ‎उस खाली ज़मीन की बहुत ज़रूरत है। 694 01:08:41,359 --> 01:08:46,405 ‎पृथ्वी की बहाली के लिए ‎जंगल एक बेहद अहम अंग हैं। 695 01:08:48,032 --> 01:08:52,745 ‎कार्बन को कैद करने के लिए ‎वे कुदरत की सबसे मुफ़ीद तकनीक हैं। 696 01:08:54,497 --> 01:08:57,416 ‎और वे जैव विविधता के केंद्र हैं। 697 01:09:01,587 --> 01:09:04,590 ‎एक बार फिर, ‎ये दोनों चीज़ें एक साथ काम करती हैं। 698 01:09:05,132 --> 01:09:08,219 ‎हमारे जंगल जितना और जंगली और विविध होंगे, 699 01:09:08,302 --> 01:09:12,765 ‎वायुमंडल से कार्बन सोखने में ‎वे उतने ही कारगर होंगे। 700 01:09:14,433 --> 01:09:19,188 ‎हमें इसी वक्त हर जगह ‎जंगलों की कटाई को रोकना होगा... 701 01:09:20,064 --> 01:09:26,737 ‎और ताड़ और सोया की खेती केवल ‎पहले से कटे जंगल वाली ज़मीन पर करना होगा। 702 01:09:27,863 --> 01:09:30,533 ‎आख़िरकार, ऐसी काफ़ी ज़मीन मिल जाएगी। 703 01:09:32,702 --> 01:09:34,829 ‎पर हम उससे बेहतर कर सकते हैं। 704 01:09:38,457 --> 01:09:44,171 ‎एक सदी पहले, कोस्टा रिका की तीन-चौथाई से ‎ज़्यादा ज़मीन जंगल से ढँकी थी। 705 01:09:51,887 --> 01:09:58,144 ‎फिर 1980 तक, अनियंत्रित तरीके से लकड़ी ‎काटने की वजह से वह ज़मीन एक-चौथाई रह गई। 706 01:10:01,022 --> 01:10:02,982 ‎सरकार ने कदम उठाने का फ़ैसला लिया, 707 01:10:03,065 --> 01:10:07,987 ‎ज़मींदारों को देशीय पेड़ लगाने के लिए ‎आर्थिक मदद का प्रस्ताव दिया। 708 01:10:12,450 --> 01:10:14,577 ‎बस 25 सालों में, 709 01:10:14,660 --> 01:10:20,041 ‎एक बार फिर कोस्टा रिका का ‎आधा हिस्सा जंगलों से ढँक गया। 710 01:10:25,296 --> 01:10:29,508 ‎ज़रा सोचिए कि अगर हम ‎वैश्विक स्तर पर यह हासिल कर सकें। 711 01:10:32,219 --> 01:10:34,555 ‎पेड़ों के वापस आने से 712 01:10:34,639 --> 01:10:37,725 ‎आज तक की हमारी गतिविधियों से ‎पैदा हुए कार्बन का 713 01:10:37,808 --> 01:10:41,937 ‎दो-तिहाई हिस्सा सोख लिया जाएगा। 714 01:10:49,528 --> 01:10:51,238 ‎इन सब चीज़ों में, 715 01:10:51,822 --> 01:10:54,492 ‎एक सिद्धांत सबसे ज़्यादा उभरकर आता है। 716 01:10:57,411 --> 01:11:02,750 ‎कुदरत हमारी सबसे बड़ी दोस्त है ‎और सबसे बड़ी प्रेरणा भी। 717 01:11:05,086 --> 01:11:09,090 ‎हमें बस वही करना होगा ‎जो कुदरत हमेशा से करती आई है। 718 01:11:10,716 --> 01:11:14,970 ‎उसने बहुत पहले जीवन का रहस्य जान लिया था। 719 01:11:20,851 --> 01:11:24,855 ‎इस दुनिया में, कोई भी ‎प्रजाति तभी फल-फूल सकती है, 720 01:11:26,273 --> 01:11:30,277 ‎जब उसके आसपास की हर चीज़ फले-फूले। 721 01:11:36,242 --> 01:11:39,078 ‎हम इस सच्चाई को गले लगाकर 722 01:11:39,161 --> 01:11:42,123 ‎आज की समस्याओं को हल कर सकते हैं। 723 01:11:44,792 --> 01:11:47,211 ‎अगर हम कुदरत का ध्यान रखेंगे, 724 01:11:48,713 --> 01:11:51,716 ‎तो कुदरत भी हमारा ध्यान रखेगी। 725 01:11:54,510 --> 01:11:59,890 ‎अब समय आ गया है ‎कि हमारी प्रजाति और बढ़ना बंद कर दे। 726 01:12:01,851 --> 01:12:07,189 ‎कुदरत के साथ संतुलन बनाकर ‎पृथ्वी पर ज़िंदगी बसाएँ। 727 01:12:10,025 --> 01:12:12,528 ‎फलना-फूलना शुरू करें। 728 01:12:15,948 --> 01:12:19,785 ‎इस बारे में सोचें तो, ‎हम एक सफ़र पूरा कर रहे हैं। 729 01:12:21,328 --> 01:12:24,415 ‎दस हज़ार साल पहले, शिकारियों के तौर पर, 730 01:12:25,124 --> 01:12:29,462 ‎हम एक टिकाऊ ज़िंदगी जीते थे ‎क्योंकि वह हमारा एकमात्र विकल्प था। 731 01:12:30,504 --> 01:12:35,968 ‎इतने सालों के बाद, एक बार फिर ‎केवल वही एक विकल्प रह गया है। 732 01:12:36,051 --> 01:12:38,345 ‎हमें फिर से समझना होगा, 733 01:12:39,430 --> 01:12:41,056 ‎कि हम कैसे टिकाऊ रास्ता अपनाएँ। 734 01:12:41,140 --> 01:12:45,060 ‎कुदरत से दूर होने के बजाय 735 01:12:45,144 --> 01:12:49,732 ‎एक बार फिर कुदरत का हिस्सा बनें। 736 01:12:54,862 --> 01:12:57,740 ‎आज रात, हम आपके लिए ‎एक अलग कार्यक्रम लेकर आए हैं। 737 01:13:00,618 --> 01:13:03,871 ‎अगर हम पृथ्वी पर ‎ज़िंदगी जीने का तरीका बदल दें, 738 01:13:04,872 --> 01:13:07,708 ‎तो एक वैकल्पिक भविष्य दिखने लगता है। 739 01:13:11,295 --> 01:13:12,797 ‎इस भविष्य में, 740 01:13:13,380 --> 01:13:19,845 ‎धरती का लाभ उठाने के लिए ऐसे तरीके चाहिए ‎जो निर्जन इलाके में बाधा नहीं, मदद बनें। 741 01:13:21,555 --> 01:13:27,520 ‎सागरों से मछली पकड़ने के ऐसे तरीके अपनाएँ ‎जो उन्हें जल्दी ही फिर से भरा-पूरा कर दे। 742 01:13:34,109 --> 01:13:38,614 ‎और अपने जंगलों को काटने का ‎ऐसा तरीका जो टिकाऊ हो। 743 01:13:42,243 --> 01:13:48,999 ‎हम आख़िरकार कुदरत के खिलाफ़ नहीं, ‎उसके साथ मिलकर काम करना सीख जाएँगे। 744 01:13:51,669 --> 01:13:56,131 ‎अंत में, जीव जगत की खोज में ‎एक जीवनकाल बिताने के बाद, 745 01:13:56,215 --> 01:13:58,509 ‎मुझे एक बात का यकीन है। 746 01:13:59,426 --> 01:14:02,388 ‎यह पृथ्वी को बचाने की बात नहीं है। 747 01:14:03,264 --> 01:14:05,850 ‎इसका वास्ता खुद को बचाने से है। 748 01:14:10,604 --> 01:14:16,944 ‎सच तो यह है कि हमारे साथ या हमारे बिना, ‎प्राकृतिक दुनिया फिर बन ही जाएगी। 749 01:14:26,871 --> 01:14:31,125 ‎चेर्नोबिल के खाली होने के 30 साल बाद, 750 01:14:31,792 --> 01:14:35,421 ‎जंगल ने यहाँ फिर से बसेरा कर लिया है। 751 01:14:46,682 --> 01:14:50,769 ‎आज, जंगल ने पूरे शहर पर कब्ज़ा कर लिया है। 752 01:15:04,700 --> 01:15:09,413 ‎यह ऐसे जंगली जानवरों का विहार बन गया है ‎जो बाकी जगह बहुत दुर्लभ हैं। 753 01:15:16,128 --> 01:15:21,175 ‎और इस बात का पुख्ता सबूत है ‎कि हम चाहे जितनी बड़ी ग़लती करें, 754 01:15:21,258 --> 01:15:24,637 ‎कुदरत आख़िरकार उसे सुधार ही देगी। 755 01:15:29,141 --> 01:15:32,019 ‎जीव जगत का अस्तित्व कायम रहेगा। 756 01:15:34,063 --> 01:15:37,816 ‎हम मानव इसका गलत इस्तेमाल नहीं कर सकते। 757 01:15:40,653 --> 01:15:42,196 ‎हम इतनी दूर इसलिए आए हैं 758 01:15:42,279 --> 01:15:46,116 ‎क्योंकि हम आज तक के सबसे होशियार जीव हैं। 759 01:15:50,871 --> 01:15:55,584 ‎पर आगे बढ़ते रहने के लिए, ‎हमें केवल होशियारी नहीं चाहिए। 760 01:15:57,628 --> 01:16:00,381 ‎हमें विवेक का सहारा चाहिए। 761 01:16:13,852 --> 01:16:18,315 ‎मनुष्य और पृथ्वी की ‎बाकी प्रजातियों के बीच कई अंतर हैं, 762 01:16:18,899 --> 01:16:24,196 ‎पर एक बात जो ज़ाहिर है वह यह कि ‎केवल हम ही भविष्य की कल्पना कर सकते हैं। 763 01:16:25,531 --> 01:16:29,493 ‎बहुत लंबे समय से, मैं और ‎शायद आप भी उस भविष्य से डरते आए हैं। 764 01:16:30,494 --> 01:16:35,082 ‎पर अब यह बात साफ़ हो रही है ‎कि उसमें केवल अंधेरा और विनाश ही नहीं है। 765 01:16:36,166 --> 01:16:38,585 ‎हमारे पास ग़लतियाँ सुधारने का एक मौका है, 766 01:16:39,336 --> 01:16:43,048 ‎अपने विकास के सफ़र को पूरा करने, ‎अपने असर को कम करने का, 767 01:16:43,132 --> 01:16:47,803 ‎और एक बार फिर कुदरत के साथ ‎तालमेल में रहती प्रजाति बनने का। 768 01:16:48,887 --> 01:16:51,640 ‎हमें बस यह करने की इच्छाशक्ति चाहिए। 769 01:16:52,141 --> 01:16:57,021 ‎अब हमारे पास अपने लिए ‎एक सटीक घर बनाने का मौका है, 770 01:16:57,563 --> 01:17:03,610 ‎और उस समृद्ध, स्वस्थ और लाजवाब दुनिया को ‎बनाने का मौका है, जो विरासत में मिली थी। 771 01:17:04,945 --> 01:17:06,447 ‎ज़रा सोचकर देखिए। 772 01:17:51,909 --> 01:17:55,329 ‎यह फिल्म डेविड एटेनबोरो की आँखों देखी है। 773 01:17:56,497 --> 01:17:58,499 ‎इसे और कौन देखना चाहता है? 774 01:22:41,615 --> 01:22:43,617 ‎संवाद अनुवादक: श्रुति शुक्ला